श्रृंगार रस का स्थायी भाव है ।
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श्रृंगार रस का स्थाई भाव - रति। श्रृंगार रस काआलंबन (विभाव) - नायक और नायिका । श्रृंगार रस का उद्दीपन (विभाव) - आलंबन का सौदर्य, प्रकृति, रमणीक उपवन, वसंत-ऋतु, चांदनी, भ्रमर-गुंजन, पक्षियों का कूजन आदि। श्रृंगार रस का अनुभाव - अवलोकन, स्पर्श, आलिंगन, कटाक्ष, अश्रु आदि
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