श्रृंगार रस का उदाहरण बताइए । *
क) तन संकोच मन परम उछाहू। गूढ़ प्रेमलखि परइ न काहू।। जाइ समीप रामछवि देखी। रहि जनु कुंअरि चित्र अनुरेखि ।।
ख) वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रुका नहीं, तुम कभी झुको नहीं।
ग) किलकत कान्ह घुटरुवन आवत । मनिमय कनक नंद के आंगन बिम्ब पकरिवे धावत ।
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क) तन संकोच मन परम उछाहू। गूढ़ प्रेमलखि परई न काहू।।
जाई समीप रामछवि देखी। रहि जनु कुंअरि चित्र अनुरेखि ।।
यह वाक्य श्रृंगार रस का उदाहरण है , क्योंकि इस वाक्य में प्रेम ( रति) का उल्लेख किया गया है जो श्रृंगार रस का स्थाई भाव है।
उदा• का अर्थ :-
तन संकोच में है किन्तु मन उत्साहित है। मेरे हिस्से में प्रेम क्यों नहीं लिखा गया है।। राम के समीप जाकर छवि देखते रह गयी।
रहगई कुआंरी चित्र देखकर ।।
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