श्रृंगार रस का उदाहरण बताइए।तन संकोच मन परम उछाहू।गूढ़ प्रेमलखि परइ न काहू।।जाइ समीप रामछवि देखी।रहि जनु कुंअरि चित्र अनुरेखि ।।वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो।तुम कभी रुका नहीं, तुम कभी झुको नहीं।किलकत कान्ह घुटरुवन आवत ।मनिमय कनक नंद के आंगन बिम्ब पकरिवे धावत ।
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वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो।तुम कभी रुका नहीं, तुम कभी झुको नहीं
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