Hindi, asked by YuktaBhardwaj, 8 months ago

श्रीकृष्ण अपने भक्तों के रक्षक है । पद के आधार पर लिखिए। ​

Answers

Answered by tara0000
5

it will surely help you

extra important information

श्री कृष्ण अवतार-रहस्य

(श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी के पावन पर्व पर सूरत (गुज.) के आश्रम में साधना शिविर में मध्यान्ह संध्या के समय आश्रम का विराट पंडाल सूरत की धर्मपरायण जनता और देश-विदेश से आये हुए भक्तों से खचा-खच भरा हुआ है। दांडीराम उत्सव किये गये। श्रीकृष्ण की बंसी बजायी गयी। मटकी फोड़ कार्यक्रम की तैयारियाँ पूर्ण हो गयी। सब आतुर आँखों से परम पूज्य बापू का इन्तजार कर रहे हैं। ठीक पौने बारह बजे पूज्य बापू पधारे और उल्लास, उत्साह और आनंद की तरंगे पूरे पंडाल में छा गईं। पूज्यश्री ने अपनी मनोहारिणी, प्रेम छलकाती, मंगलवाणी में श्रीकृष्ण-तत्त्व का अवतार-रहस्य प्रकट किया…..)

जन्माष्टमी तुम्हारा आत्मिक सुख जगाने का, तुम्हारा आध्यात्मिक बल जगाने का पर्व है। जीव को श्रीकृष्ण-तत्त्व में सराबोर करने का त्यौहार है। तुम्हारा सुषुप्त प्रेम जगाने की दिव्य रात्रि है।

हे श्रीकृष्ण ! शायद आप सच्चे व्यक्तियों की कीर्ति, शौर्य और हिम्मत बढ़ान व मार्गदर्शन करने के लिए अवतरित हुए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि जैसे, मलयाचल में चंदन के वृक्ष अपनी सुगंध फैलाते हैं, वैसे ही सोलह कला-संपन्न अवतार से आप यदुवंश की शोभा और आभा बढ़ाने के लिए अवतरित हुए हैं। कुछ लोग यूँ ही कहते हैं कि वसुदेव और देवकी की तपस्या से प्रसन्न होकर देवद्रोही दानवों के जुल्म दूर करने, भक्तों की भावना को तृप्त करने के लिए वसुदेव जी के यहाँ ईश्वर निर्गुण निराकार, सगुण साकार होकर अवतरित हुए। लीला और लटकों के भूखे ग्वाल-गोपियों को प्रसन्न करके आनंद का दान करने के लिए आप अवतरित हुए हैं।

Answer

श्री कृष्ण चैतन्य संकीर्तन मंडल की ओर से मंगलवार को श्री नृसिंह अवतार का प्राकट्य महोत्सव पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम हुए। शाम को कथावाचक चक्रधर प्रसाद ने कहा कि भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए भगवान ने नृसिंह का रूप धारण किया। द्रोपदी की लाज बचाने के लिए श्री कृष्ण का रुप धारण किया। भगवान किसी न किसी रुप में अपने भक्त की रक्षा अवश्य करते हैं। उन्होंने बताया कि नृसिंह भगवान को अजर- अमर वरदान मिला हुआ था कि दिन में मरू न रात में, सुबह मरू न शाम को, अस्त्र से मरू न शस्त्र से, पुरुष से मरू न स्त्री से लेकिन उन्होंने नाखूनों से हिरणाकश्यप का वध किया। इससे पूर्व बाजार में मृदंग, मंजीरा, हारमोनियम, झांजी ढोलक आदि से हरेराम, हरे कृष्ण का संकीर्तन कर बाजार में परिक्रमा निकाली गई। वैदिक पाठ, भगवान नृसिंह का अभिषेक व आरती आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर भोपाल, दमोह, कोटा, सागर, अजमेर सहित बड़ी संख्या में वैष्णव समाज के श्रद्धालु मौजूद थे।

श्री कृष्ण चैतन्य संकीर्तन मंडल की ओर से मंगलवार को श्री नृसिंह अवतार का प्राकट्य महोत्सव पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम हुए। शाम को कथावाचक चक्रधर प्रसाद ने कहा कि भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए भगवान ने नृसिंह का रूप धारण किया। द्रोपदी की लाज बचाने के लिए श्री कृष्ण का रुप धारण किया। भगवान किसी न किसी रुप में अपने भक्त की रक्षा अवश्य करते हैं। उन्होंने बताया कि नृसिंह भगवान को अजर- अमर वरदान मिला हुआ था कि दिन में मरू न रात में, सुबह मरू न शाम को, अस्त्र से मरू न शस्त्र से, पुरुष से मरू न स्त्री से लेकिन उन्होंने नाखूनों से हिरणाकश्यप का वध किया। इससे पूर्व बाजार में मृदंग, मंजीरा, हारमोनियम, झांजी ढोलक आदि से हरेराम, हरे कृष्ण का संकीर्तन कर बाजार में परिक्रमा निकाली गई। वैदिक पाठ, भगवान नृसिंह का अभिषेक व आरती आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर भोपाल, दमोह, कोटा, सागर, अजमेर सहित बड़ी संख्या में वैष्णव समाज के श्रद्धालु मौजूद थे। श्रद्धा से मनाया श्री नृसिंह अवतार का प्राकट्य महोत्सव

श्री कृष्ण चैतन्य संकीर्तन मंडल की ओर से मंगलवार को श्री नृसिंह अवतार का प्राकट्य महोत्सव पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम हुए। शाम को कथावाचक चक्रधर प्रसाद ने कहा कि भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए भगवान ने नृसिंह का रूप धारण किया। द्रोपदी की लाज बचाने के लिए श्री कृष्ण का रुप धारण किया। भगवान किसी न किसी रुप में अपने भक्त की रक्षा अवश्य करते हैं। उन्होंने बताया कि नृसिंह भगवान को अजर- अमर वरदान मिला हुआ था कि दिन में मरू न रात में, सुबह मरू न शाम को, अस्त्र से मरू न शस्त्र से, पुरुष से मरू न स्त्री से लेकिन उन्होंने नाखूनों से हिरणाकश्यप का वध किया। इससे पूर्व बाजार में मृदंग, मंजीरा, हारमोनियम, झांजी ढोलक आदि से हरेराम, हरे कृष्ण का संकीर्तन कर बाजार में परिक्रमा निकाली गई। वैदिक पाठ, भगवान नृसिंह का अभिषेक व आरती आदि धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर भोपाल, दमोह, कोटा, सागर, अजमेर सहित बड़ी संख्या में वैष्णव समाज के श्रद्धालु मौजूद थे। श्रद्धा से मनाया श्री नृसिंह अवतार का प्राकट्य महोत्सव भरतपुर. नृसिंह अवतार प्राकट्य महोत्सव पर अभिषेक करते श्रद्धालु।

you will get all your answers just read this

please please please mark me as brainliest and thanks if it helped you

please follow me

Similar questions