श्रीकृष्ण खेल में पुनः क्यों शामिल हो गए ch 11 hindi class 11
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श्री कृष्ण खेल में पुनः इसलिए शामिल हो गए। क्योंकि वह अपने साथियों के साथ निरंतर खेलना चाहते हैं। वह अपने गोप-ग्वाले साथियों के साथ निरंतर खेल में मगन रहना चाहते हैं। वे जानबूझकर जीती हुई बाजी भी हार जाते हैं, ताकि उनके सखाओं को जीत की खुशी मिले। यदि वे हारेंगे तभी तो उन्हे उनके सखा लोग जीतेंगे। हारने के लिये खेल तो खेलना ही पड़ेगा। अपने सखाओं की प्रसन्नता ही उन्हें असीम सुख देती है, इसलिये श्रीकृष्ण खेलते रहना चाहते है।
सूरदास के इन पदों से समझते हैं।
खेलत मैं को काको गुसैयाँ |
हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबसहीं कत करत रिसैयाँ ||
जात-पाँति हम ते बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ |
अति धिकार जनावत यातैं, जातैं अधिक तुम्हारैं गैयाँ !
रुहठि करै तासौं को खेलै, रहे बैठि जहँ-तहँ सब ग्वैयाँ ||
सूरदास प्रभु खेल्यौइ चाहत, दाउँ दियौ करि नंद-दहैयाँ ||
अर्थात सूरदास जी कहते हैं कि कृष्ण से उनके सखा बोलते हैं कि तुम तो खेल में हार गये हो और श्रीदामा जीत गये हैं। फिर इतना गुस्सा क्यों दिखा रहे हो। तुम्हारी जाति भी हमसे बड़ी नही है अर्थात तुम भी गोप हो। हम तुम्हारे अधिकार या संरक्षण में भी नही रहते फिर भी तुम हम पर इतना अधिकार क्यों दिखा रहे हो? क्या इसलिये कि तुम्हारे पास गायें ज्यादा हैं।
सूरदास जी कहते हैं. कि मेरे स्वामी तो निरंतर अपने सखाओं के साथ खेलना चाहते हैं, इसलिये वह हारकर भी दांव नही देना चाहते, ताकि निरंतर खेल सकें और अपने सखाओं को अधिक से अधिक जीत खुशी दे सकें।
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