Social Sciences, asked by MrElegant01, 5 months ago

श्री कृष्ण ने कहा था।

⠀⠀मैं विधाता होकर भी विधि के विधान को नहीं टाल सका,
⠀⠀मेरी चाह राधा थी, और चाहती मुझको मीरा थी, पर मैं हो ⠀ ⠀⠀रुक्मणी का गया..!!


⠀⠀बोलो राधे राधे



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Answers

Answered by vaishnaviagrawal5790
7

Answer:

it's true

no.one can change the thing that happened

Answered by franktheruler
0

"मैं विधाता होकर भी विधि के विधान को टाल सका, मेरी चाह राधा थी, और चाहती मुझको मीरा थी, पर मैं हो रुक्मणी का गया "

दी गई पंक्तियों का सार यह है कि श्री कृष्ण तो विधाता थे परन्तु होनी को कोई टाल नहीं कता , विधि का विधान होकर ही रहता है भाग्य में जो लिखा है वहीं मिलेगा , कोई चाहे लाख कोशिश कर ले

  • श्री कृष्ण सबके तारन हार थे, उनकी सभी आराधना करते थे परन्तु वे स्वयं अपना भाग्य न बादल सके।
  • श्री कृष्ण को राधा से प्रेम था। राधा भी उनसे प्रेम करती थी। मीरा बाई ने तो बचपन से ही श्री कृष्ण को अपना पति मान लिया था। कृष्ण भक्ति में वे ऐसी राम गई कि उनके द्वारा गए कृष्ण भक्ति के गीत आज भी विश्व विख्यात है।
  • गीता का उपदेश देते हुए युद्ध के मैदान में श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिव्य उपदेश दिए , उन्होंने कर्म के बारे में बताया कि हमें फल की इच्छा न रखकर कर्म करने चाहिए। कर्म महत्वपूर्ण होता है। उसका परिणाम अच्छा होगा या बुरा , यह हमें ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए।

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