शोर क्या है? मानव व्यवहार पर शोर के प्रभाव का विवेचन कीजिए I
Answers
"कोई भी ध्वनि जो मनुष्य या किसी भी प्राणी को अप्रिय लगे। जो कानों द्वारा सुनने में अनुकूल ना लगे। जो मनुष्य के मन में झुंझलाहट, चिड़चिड़ाहट, खीज एवं तनाव पैदा करें उसे शोर कहते हैं।
मनुष्य पर शोर के प्रभाव का विवरण इस प्रकार है।
(1) शोर चाहे तेज हो या धीमा लेकिन मनुष्य द्वारा निष्पादित किया जाने वाला कार्य अगर सरल है तो शोर मनुष्य पर अपना प्रभाव नहीं डाल पाता। ऐसी स्थिति में मनुष्य स्वयं को शोर के अनुकूल ढाल लेता है अर्थात वो शोर का आदी हो जाता है।
(2) जिस कार्य का मनुष्य द्वारा निष्पादन किया जा रहा है, यदि वह कार्य रुचिकर है तो मनुष्य का सारा ध्यान उस कार्य पर ही रहता है इस कारण आस पास हो रहा शोर मनुष्य के कार्य निष्पादन पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाता है।
(3) बीच-बीच में रुककर आने वाला शोर निरंतर होने वाले शोर की अपेक्षा अधिक कष्टकारी होता है।
(4) यदि मनुष्य के द्वारा निष्पादित किए जाने वाला कार्य अत्यंत कठिन है और जिस में पूर्ण एकाग्रता की आवश्यकता है तब ऐसी स्थिति में होने वाला शोर मनुष्य के कार्य निष्पादन को प्रभावित करता है।
(5) जब शोर को नियंत्रित करना मनुष्य के हाथ में हो यानि वह जब चाहे शोर को बंद कर सकता हो तो ऐसी स्थिति में मनुष्य के कार्य निष्पादन की क्षमता बढ़ जाती है।
(6) शोर का संवेग अगर मनुष्य की श्रवण शक्ति से अधिक स्तर का है ये मनुष्य में तनाव व चिड़चिड़ाहट पैदा कर सकता है। उसे नींद व दिमाग से संबंधित समस्यायें हो सकती हैं।
"