श्रीलंका के तमिल समस्या का समाधान के लिए भारत का योगदान लिखिए
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करीब तीन दशकों से श्रीलंका एक कठिन गृहयुद्ध से जूझ रहा है और इसका एक बड़ा कारण प्रजातीय तनाव है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे भारत को भी ना उगलते बनता है और ना ही निगलते बनता है। यह साधारण समझ की बात है कि श्रीलंका में जनसंख्या का काफी बड़ा भाग तमिलों का है जो कि काफी लम्बे समय से स्वायत्तता से लेकर स्वतंत्रता तक के लिए संघर्ष करते रहे हैं।
जब भी श्रीलंका में अशांति होती है तो ये लोग समुद्री रास्ते से भागकर भारत के राज्य तमिलनाडु में आ जाते हैं और इस कारण ही श्रीलंका के तमिल न चाहते हुए भी देश की गृह और विदेश नीति का एक अहम कारक बन गए हैं। यह समस्या कितनी बड़ी रही है इसे इसी तथ्य से जाना जा सकता है कि इसके चलते भारत को न केवल परोक्ष रूप से सैन्य और राजनयिक हस्तक्षेप करना पड़ा है वरन भारत का एक प्रधानमंत्री भी इसी समस्या की भेंट चढ़ गया।
श्रीलंका में शांति स्थापित होने के संकेत मई 2009 में मिले थे, जब श्रीलंका सरकार को लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई अथवा तमिल टाइगर्स) के खिलाफ निर्णायक सैनिक लड़ाई में जीत हासिल हुई थी। इस लड़ाई में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई और श्रीलंका के दोनों प्रमुख समुदायों (सिंहाला और तमिल) के बीच तनाव बना रहा है