श्रीलंका में भारतीय प्रवासियों की समस्या की विवेचना कीजिए?
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वर्ष 1948 में आज़ादी से लेकर अब तक श्रीलंका में लोकतंत्र कायम है। लेकिन श्रीलंका को लगातार एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी देशों की आज़ादी के बाद लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख चुनौती या तो सेना की ओर से या राजतंत्र की ओर से मिलती है। श्रीलंका को आज़ादी के बाद से ही जातीय संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी जड़ें वहाँ की जनसांख्यिकी में मौज़ूद बहुलवाद से संबंधित है। वर्ष 1983 के बाद से उग्रवादी तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाइगर ऑफ तमिल ईलम’ (Liberation Tiger of Tamil Eelam-LTTE) जिसे लिट्टे भी कहा जाता है तथा श्रीलंकाई सेना के बीच सशस्त्र संघर्ष जारी रहा। यहाँ के अल्पसंख्यक मुस्लिमों को गैर-मुसलमान बहुसंख्यकों से अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा नवीन संविधान का मसौदा पेश करने की घोषणा की गई जो ‘सभी लोगों के लिये एक देश, एक कानून’ की अवधारणा को प्राथमिकता देगा।