Science, asked by shivaay37, 10 months ago

श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद तथा इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए।

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Answered by sourya1794
73

Explanation:

श्रीलंकाई गृहयुद्ध श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहला और अल्पसंख्यक तमिलो के बीच २३ जुलाई, १९८३ से आरंभ हुआ गृहयुद्ध है। मुख्यतः यह श्रीलंकाई सरकार और अलगाववादी गुट लिट्टे के बीच लड़ा जाने वाला युद्ध है। ३० महीनों के सैन्य अभियान के बाद मई २००९ में श्रीलंकाई सरकार ने लिट्टे को परास्त कर दिया।[1]

लगभग २५ वर्षों तक चले इस गृहयुद्ध में दोनों ओर से बड़ी संख्या में लोग मारे गए और यह युद्ध द्वीपीय राष्ट्र की अर्थव्यस्था और पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हुआ। लिट्टे द्वारा अपनाई गई युद्ध-नीतियों के चलते ३२ देशों ने इसे आतंकवादी गुटो की श्रेणी में रखा जिनमें भारत[2], ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ[3] के बहुत से सदस्य राष्ट्र और अन्य कई देश हैं। एक-चौथाई सदी तक चले इस जातीय संघर्ष में सरकारी आँकड़ों के अनुसार ही लगभग ८०,००० लोग मारे गए हैं।

Answered by sk940178
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 यह एक धारणा है कि बहुसंख्यक समुदाय को किसी भी देश पर शासन करने में सक्षम होना चाहिए जो भी वह चाहता है।              

Explanation:    

श्रीलंका में, लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार ने मेजरवादी नीतिगत उपायों की एक श्रृंखला के लिए चुना क्योंकि वे सिंहल वर्चस्व चाहते थे। किए गए कुछ उपाय थे:

इसने श्रीलंकाई तमिलों को अलग-थलग महसूस करवाया। इसके परिणामस्वरूप, श्रीलंकाई तमिलों ने पार्टियों का शुभारंभ किया और एक आधिकारिक भाषा के रूप में तमिल की मान्यता के लिए संघर्ष शुरू किया। 1980 के दशक तक कई राजनीतिक संगठन बने। उन्होंने श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में एक स्वतंत्र तमिल ईलम (राज्य) की मांग की। यह सब जल्द ही एक नागरिक युद्ध में बदल गया, जिससे राष्ट्र में संकट पैदा हो गया।

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