शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति का समाज के प्रति क्या दृष्टिकोण होना चाहिए एक अभिलेख लिखिए
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विकलांग व्यक्ति को न तो दया चाहिए, न वो किसी दया का पात्र है। हां, किसी शारीरिक अक्षमता के चलते वह समाज की मुख्यधारा के साथ अपने आपको नहीं चला पा रहा है तो उसको हाथ बढ़ाकर साथ ले चलने की आवश्यकता है। समाज का एक-एक व्यक्ति अपनी मानसिकता में सुधार कर ले तो विकलांगता जैसी समस्या समाज से स्वतः ही दूर हो जाएगी।
शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति का समाज के प्रति क्या दृष्टिकोण होना चाहिए एक अभिलेख लिखिए।
शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति के प्रति समाज का सकारात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए। शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति के प्रति समाज को सहानुभूति एवं सहयोग की भावना अपनानी चाहिए। समाज के लोगों को यह समझना चाहिए कि शारीरिक चुनौती व्यक्ति के अपनी इच्छा से नहीं मिली है बल्कि उसे यह किसी भी अन्य कारण से इस चुनौती का सामना करना पड़ा है। इसमें उसका कोई दोष नहीं। अक्सर समाज में ऐसा होता है कि शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति के प्रति लोग हिकारत का भाव रखते हैं और कहते हैं कि यह उसके पिछले जन्मों का कर्म है, जिसके कारण वह आज ऐसा बना। इससे शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति के मन को कितनी पीड़ा होती है इसे वही समझ सकता है जो भुक्तभोगी है।
समाज को अपनी धारणा को बदल कर शारीरिक चुनौती वाले व्यक्ति के प्रति सहयोग की भावना अपनाने चाहिए और उसे समाज की मुख्यधारा में शामिल व्यक्ति ही मानना चाहिए। उसे उसकी शादी का एहसास जरा भी नहीं होने देना चाहिए ताकि वह अन्य सामान्य लोगों की व्यक्तिगत जीवन जी सके।
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