शारीरिक परिवर्तनों के आधार पर Kishor avastha main Swayam ki ki avdharna Kaise viksit hoti hai
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किशोर अवस्था शारीरिक परिपक्वता की अवस्था है। इस अवस्था में बच्चे की हड्डियों में दृढ़ता आती है; भूख काफी लगती है। कामुकता की अनुभूति बालक को 13 वर्ष से ही होने लगती है। इसका कारण उसके शरीर में स्थित ग्रंथियों का स्राव होता है।
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शारीरिक परिवर्तनों के आधार पर किशोर अवस्था में स्वयं की अवधारणा कैसी विकसित होती है , इसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
- किशोरावस्था शारीरिक परिपक्वता की स्थिति को कहा जाता है।
- इस उम्र में शारीरिक विकास तो होता ही है। साथ ही हमारे विचारो में , सोचने की शक्ति में भी प्रगति होती है।
- लड़कियों में ऐसे परिवर्तन आते है जिससे वे बच्ची से बड़ी बनने लगती है। उनकी विचारधारा भी बदलने लगती है।
- किशोरावस्था में युवक व युवतियों के आवाज में भी बदलाव होना शुरू हो जाता है ।
- युवकों व युवतियों की शारीरिक संरचना पूरी तरह से बदल जाती है। युवतियों के स्तनों का विकास होता है। उन्हें मासिक स्राव आरंभ हो जाता है। ऐसे में लड़कियां अजीब मानसिक स्थिति से गुजरती है, कुछ युवतियां घबराने लगती है कि ये परिवर्तन क्यों हो रहे है। इस वक्त उन्हें सबसे अधिक जरूरत मां की होती है जो उन्हें समझाती है कि यह सब सहज है, सबके साथ होता है , यह कुछ अलग नहीं हो रहा। बड़ी होने पर लड़कियों की चाल बदल जाती है क्योंकि बचपन में जैसे वे चलती थी, अल्हड़ता से , अब वे उस प्रकार से व्यवहार नहीं करती।
- किशोरावस्था में कई लड़कियां संकुचित हो जाती है, अधिक बातें नहीं करती , कुछ शरमाने लगती है।
- किशोरावस्था में युवक व युवतियों की विचार धारा में परिवर्तन स्वाभाविक है क्योंकि इस अवस्था में हार्मोनल परिवर्तन होता है। शरीर के साथ साथ उनके मस्तिष्क का भी विकास होता है, उन्हें यह समझ में आता है कि अब वे बच्चे नहीं रहे।
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