शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति का उपहास क्यों नहीं उड़ाना चाहिए? अनुच्छेद
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शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति को देखकर अक्सर लोग दया व सहानुभूति का भाव रखते हैं। साथ ही इसे अभिशाप भी समझते है। ..लेकिन वहीं समाज में कुछ ऐसे विकलांग हैं, जिन्होंने अपनी विकलांगता को कभी मजबूरी नहीं बनने दिया। मतलब साफ है मजबूरी ही बन गई मजबूती। विकलांग होने के बाद भी सफलता के झंडे गाड़ने में सामन्य लोगों को भी पीेछे छोड़ दिया। विश्व विकलांगता दिवस पर ऐसे ही कुछ सफल विकलांगों से जागरण मिला तो उनकी कहानी सामने आ गयी।
लोको कालोनी में अपने मामा के घर रहने वाले पूरी तरह से विकलांग दीपक कुमार विश्वकर्मा के दोनों पैर पोलियो के कारण खराब है। चलने फिरने के लिए या तो उन्हे किसी मित्र की जरूरत पड़ती है या फिर ट्राई साइकिल की। ..लेकिन आज लोग उन्हे गुरू जी कहते हैं और कहें भी क्यों नहीं, आखिर गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय में एमएससी की डिग्री हासिल कर जो कोचिंग चलाते हैं। कहते हैं कि अपने विकलांगता का उन्हे कोई अफसोस नहीं है। आज वे स्वावलम्बी है और इसी बात का वे विकलांगों को संदेश भी देते है।
कुछ ऐसी ही कहानी मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में आदेशपाल के पद पर कार्यरत 35वर्षीय अंजू देवी की है। इनके एक पैर में पोलियो के कारण जन्मजात विकलांगता है। दानापुर बिहार की रहने वाली अंजू को स्वावलंबी बनाने में उनके पिता ने जमकर सहयोग किया। 1993 में विकलांग कोटा के तहत उन्हे रेलवे में नौकरी मिल गई। वर्तमान में पति और दो बच्चों संग खुश हैं। कहती है नौकरी लगने के बाद से मेरे प्रति लोगों का नजरिया बदला है। मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग में वरिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत ऋषि नारायण तिवारी के भी बाएं पैर में पोलियो होने के कारण वाकर लेकर चलते हैं। छपरा बिहार निवासी ऋषि नारायण ने भी नौकरी मिलने से पूर्व खूब संघर्ष किया। अडिग विश्वास का ही परिणाम रहा कि सरकारी नौकरी हासिल की। बताते हैं कि शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति का उपहास नहीं उड़ाना चाहिए क्योंकि हर कोई ईश्वर की ही कृति है। इस्लामपुर निवासी मौलाना खारीद अमीन के बाएं पैर में पोलियो के कारण विकलांगता है। वर्तमान में वे इलाहाबाद स्थित एक मदरसा में अध्यापक हैं। इंटर तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने देवबंद से आलिम की शिक्षा ग्रहण की। पैर से विकलांग होने के कारण एक समय था, जब उनके माता-पिता व भाई उनके भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहा करते थे।