Hindi, asked by ratnpriyakumari05, 6 months ago

श्री राम 14 वर्ष के लिए वनवास चले गए mein kaun sa pad Parichay hai​

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Answered by hacker444
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Answered by prajapatijigar656
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रामायण महाकाव्य सनतान धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है। जिसे अगर धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। रामायण के हर पन्ने पर अनेक रहस्य और रोमांच छुपा है। रामायण की सबसे बड़ी घटना भगवान राम का वनवास जाना है। रामायण के अनुसार, माता कैकेयी ने महाराज दशरथ से भगवान राम के लिए 14 वर्षों के लिए वनवास मांगा था, जिसकी वजह से रावण का अंत हो सका। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैकेयी ने राम के लिए पूरे जीवन के बजाए केवल 14 वर्षों का वनवास क्यों मांगा। आइए जानते हैं इस घटना के पीछे क्या कारण है…

1/10देवताओं ने करवाया था कैकेयी से यह काम

राजा दशरथ की तीसरी पत्नी कैकेयी भगवान राम से अपने बेटे भरत से भी ज्यादा प्रेम करती थीं। उन्हें राम से बहुत आशाएं थीं। जब कैकेयी ने भगवान राम से 14 वर्षों का वनवास मांगा था तब सबसे ज्यादा भरत हैरान हुए थे क्योंकि वह जानते थे कि माता राम से कितना प्रेम करती हैं। लेकिन आपको जानाकर हैरानी होगी कि देवताओं ने कैकेयी से यह काम करवाया था। इसके पीछे एक रोचक कथा है।

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2/10युद्ध में घायल हो गए थे दशरथ

विवाह से पहले कैकेयी महर्षि दुर्वासा की सेवा किया करती थीं। कैकेयी की सेवा से प्रसन्न होकर महर्षि दुर्वास ने कैकेयी का एक हाथ बज्र का बना दिया और आशीर्वाद दिया कि भविष्य में भगवान तुम्हारी गोद में खेलेंगे। समय का पहिया चलता रहा और कैकेयी का विवाह राजा दशरथ से हो गया। एक समय स्वर्ग में देवासुर संग्राम आरंभ हो गया। देवराज इंद्र ने राजा दशरथ को सहायता के लिए बुलाया। रानी कैकेयी भी महाराज की रक्षा के लिए सारथी बनकर देवासुर संग्राम में पहुंच गईं। युद्ध के दौरान दशरथजी के रथ के पहिये से कील निकल गया और रथ लड़खड़ाने लगा। ऐसे में कैकेयी ने कील की जगह अपनी उंगली लगा दी और महाराज की जान बचा ली।

3/10कैकेयी की वीरता और साहस का इनाम

राजा दशरथ को जब पता चला कि कैकेयी ने युद्ध भूमि में किस साहस का परिचय दिया है तो वह वह बहुत प्रसन्न हुए और तीन वरदान मांगने के लिए कहा। कैकेयी ने उस समय प्रेमवश यह कह दिया कि इसकी जरूरत नहीं है अगर कभी जरूरत होगी तो मांग लूंगी। कैकेयी ने राजा दशरथ को इसी वरदान के जाल में फांस लिया और राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांग लिया। लेकिन 14 वर्ष के लिए वनवास क्यों मांगा इसके पीछे कई राज हैं।

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4/10रावण को मारने की यह शर्त

कैकेयी ने चौहद वर्ष का वनवास मांगकर यह समझाया कि अगर व्यक्ति युवावस्था में चौदह यानी पांच ज्ञानेन्द्रियाँ (कान, नाक, आंख, जीभ, त्वचा) पांच कर्मेन्द्रियां (वाक्, पाणी, पाद, पायु, उपस्थ) तथा मन, बुद्धि, चित और अहंकार को वनवास (एकान्त आत्मा के वश) में रखेगा तभी अपने अंदर के घमंड और रावण को मार पाएगा।

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5/10कैकेयी को था राम पर भरोसा

दूसरी बात यह था कि रावण की आयु में केवल 14 ही वर्ष शेष थे। प्रश्न उठता है कि यह बात कैकयी कैसे जानती थी? ये घटना घट तो रही थी अयोध्या में लेकिन योजना देवलोक की थी। कोप भवन में कोप का नाटक हुआ था। कैकेयी को राम पर भरोसा था लेकिन दशरथ को नहीं था। इसलिए उन्होंने पुत्र मोह में अपने प्राण गंवा दिए और कैकेयी हर जगह बदनाम हो गईं।

6/10श्रीराम ने की थी योजना तैयारी

अजसु पिटारी तासु सिर, गई गिरा मति फेरि। सरस्वती ने मंथरा की मति में अपनी योजना डाल दी, उसने कैकयी को वही सब सुनाया, समझाया और कहने को उकसाया जो सरस्वती को करवाना चाहती थीं। इसके सूत्रधार स्वयं श्रीराम थे, उन्होंने ही यह योजना तैयार की थी।

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7/10राम के लिए कैकेयी के अंदर यह थी मंशा

माता कैकयी यथार्थ जानती हैं। जो नारी युद्ध भूमि में दशरथ के प्राण बचाने के लिए अपना हाथ रथ के धुरे में लगा सकती है, रथ संचालन की कला में दक्ष है, वह राजनैतिक परिस्थितियों से अनजान कैसे रह सकती है? कैकेयी चाहती थी कि मेरे राम का पावन यश चौदहों भुवनों में फैल जाए और यह बिना तप और विन रावण वध के संभव नहीं था।

8/10राम से यह चाहती थीं कैकेयी

कैकेयी जानती थीं कि अगर राम अयोध्या के राजा बन जाते तो रावण का वध नहीं कर पाएंगे, इसके लिए वन में तप जरूरी थी। कैकयी चाहती थीं कि राम केवल अयोध्या के ही सम्राट न बनकर रह जाएं, वह विश्व के समस्त प्राणियों के हृदयों के सम्राट भी बनें। उसके लिए राम को अपनी साधित शोधित इन्द्रियों तथा अन्तःकरण को तप के द्वारा तदर्थ सिद्ध करना होगा।

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9/10भगवान राम ने किया रावण वध

देवलोक में बनाई गई इस योजना का केंद्र राक्षस का वध था। महाराज अनरण्य के उस शाप का समय पूर्ण होने में 14 ही वर्ष शेष थे, जो शाप उन्होंने रावण को दिया था कि मेरे वंश का राजकुमार तेरा वध करेगा। जिससे भगवान राम ने रावण का वध किया और देवलोक की योजना पूरी की।

10/10शनि की चाल से 14 साल

रामायण और महाभारत दोनों में ही 14 वर्ष वनवास की बात हुई है। रामायण में भगवान को 14 वर्ष का वनवास भोगना पड़ा था। जबकि महाभारत में पांडवों को 13 वर्ष वनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास में गुजारना पड़ा था। दरअसल इसके पीछे ग्रह गोचर भी मानते हैं। उन दिनों मनुष्य की आयु आज के जमाने से काफी ज्यादा होती थी। इसलिए ग्रहों की दशावधि भी ज्यादा होती थी। शनि चालीसा में लिखा है ‘राज मिलत बन रामहि दीन्हा। कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।’ यानी शनि की दशा के कारण कैकेयी की मति मारी गई और भगवान राम को शनि के समयावधि में वन-वन भटकना पड़ा और उसी समय रावण पर भी शनि की दशा आई और वह राम के हाथों मारा गया। यानी शनि ने अपनी दशा में एक को कीर्ति दिलाई तो दूसरे को मुक्ति।

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