श्री राम का चरित्र चित्रण करते हुए ढाई सौ शब्द में निबंध लिखिए
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भगवान श्री राम पर निबंध
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम श्री हरि विष्णु के दस अवतारो में से सातवें अवतार थे। बारह कलाओं के स्वामी श्रीराम का जन्म लोक कल्याण और इंसानो के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। श्रीराम को हिन्दू धर्म के महानतम देवताओं की श्रेणी में गिना जाता है। वे करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति माने जाते है। उन्होंने विनम्रता, मर्यादा, धैर्य और पराक्रम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत किया है।
रमणे कणे कणे इति रामः”
जो कण-कण में बसे, वही राम है। श्रीराम की सनातन धर्म में अनेकों गाथाएं विद्यमान है। श्रीराम के जीवन की अनुपम कथाएं, महर्षि वाल्मिकी ने बड़े ही सुंदर ढंग से रामायण में प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस रच कर जन-जन के हृदय तक श्रीराम को पहुंचा दिया।
चैत्रे नावमिके तिथौ।।
नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।
ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।”
वाल्मिकी कृत रामायण में उल्लिखित यह श्लोक प्रभु राम के जन्म के बारे में है। श्रीराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनका जन्म दिवस चैत्र मास की नवमी तिथि को मनाया जाता है।
प्रभु श्रीराम का जन्म वर्तमान उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। वो अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थी – कौशल्या, कैकेयी और सबसे छोटी सुमित्रा। राजा दशरथ को पुत्रों की प्राप्ति बहुत ही जप-तप के बाद हुई थी। उनकी तीन रानियों से चार पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई। सबसे बड़ी रानी कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न।