Hindi, asked by jothimichael1984, 5 months ago

शारीररक श्रम पररमाणतः ककतना सुखदायी होता है। पसीने से कसिंकित वृक्ष में लगने

वाला फल ककतना मधुर होता है। 'कदन अस्त और मज़दू र मस्त' इसका भेद जानने

वाले महात्मा ईसा मसीह ने अपनेअनुयाकययोिं को यह परामशश कदया था कक तुम के वल

पसीने की कमाई खाओगे। पसीना टपकाने के बाद मन को सिंतोष और तन को सुख

कमलता है। कवककसत देशोिं के कनवासी शारीररक श्रम को जीवन का आवश्यक अिंग

समझते हैं। श्रमशील व्यक्ति स्वावलिंबी एविं स्वाकभमानी होता है। श्रमशीलता सहज

उपलब्ध नदी के जल के समान है। श्रम करिेके बयि कै सय महसूस होतय है?

(क) तन को सुख कमलता है (ख) भूख लगती है

(ग) िैन की नीिंद आती है (घ) ऊपर कलक्तखत सभी​

Answers

Answered by pp6153856
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Answer:

send hub of the year again when we all pledge to change the world and the other hand the wildcats their own lives in Dhaka city news report's collection of the year again when we all pledge to change the world and the other hand the wildcats their own lives in Dhaka city news

Answered by Anonymous
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you need gf under 14 pagal hoo under 14 itni chooti umar ki ladki paagal bewakuf.....

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