शार ररक विकास के ललए विद्याथी को अपने स्िास््य की रक्षा और िद्ृधध करने के ललए प्रयत्न
करना चाहहए. उसे आलस्य और अननयलमतता के जीिन का पररत्याग कर सदाचार और पररश्रम का
जीिन अपनाना चाहहए| व्यायाम, खेलकूद आहद शार ररक विकास के मुख्य साधन हैं. विद्यालय में
हॉकी, फुटबॉल, िॉल बाल आहद जो खेल आयोजजत ककए जाते हैं, उनमें विद्याथी को रुधचपूिकव भाग
लेना चाहहए| शर र के स्िस्थ होने पर मजस्तष्क भी स्िस्थ होता है. अतः अध्ययन के साथ खेलों की
ओर भी पूरा ध्यान हदया जाना चाहहए. मानलसक विकास से विद्याथी में स्िािलंबन, आत्मविश्िास
एिं पारस्पररक सहयोग की भािना जागतृ होती है. विद्याथी में सामाजजकता और व्यिहार-कुशलता
भी अपेक्षक्षत है. श्रेष्ठ मूल्यों की स्थापना के ललए विद्याथी का मानलसक विकास आिश्यक है क्यों
कक मानलसक विकास से ह लशष्टाचार, विनयशीलता, तथा पारस्पररक प्रेम जैसे गुणों का विकास
होता है. ये गुण ह चररत्र-ननमावण की आधारलशला हैं. इन्ह ं में विद्याथी जीिन की साथवकता है|
1.) अपने शार ररक विकास के ललए विद्याथी को क्या करना चाहहए?
2.) मानलसक विकास का क्या पररणाम होता है?
3) विद्यालय में कौन-कौन से खेल आयोजजत ककए जाते हैं ? विद्याथी को उनमें ककस तरह भाग
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दिल में अच्छा ही होनी चाहिए चाहे कुछ हो या ना हो उसे भारत का संविधान कहते हैं हम तुम हमें
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