श्रेष्ठा का तीसरा अधिकार क्या है
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ɪ ᴅɪᴅɴ'ᴛ ᴜɴᴅᴇʀꜱᴛᴀɴᴅ ʏᴏᴜʀ ʟᴀɴɢᴜᴀɢᴇ.....
ᴄᴀɴ ʏᴏᴜ ᴡʀɪᴛᴇ ɪɴ ᴇɴɢʟɪꜱʜ ʟᴀɴɢᴜᴀɢᴇ.....
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अधिकतर हिन्दुओं के पास अपने ही धर्मग्रंथ को पढ़ने की फुरसत नहीं है। वेद, उपनिषद पढ़ना तो दूर, वे गीता तक को नहीं पढ़ते जबकि गीता को 1 घंटे में पढ़ा जा सकता है। हालांकि कई जगह वे भागवत पुराण सुनने या रामायण का अखंड पाठ करने के लिए समय निकाल लेते हैं या घर में सत्यनारायण की कथा करवा लेते हैं। लेकिन आपको यह जानकारी होना चाहिए कि पुराण, रामायण और महाभारत हिन्दुओं के धर्मग्रंथ नहीं हैं, धर्मग्रंथ तो वेद ही हैं।
शास्त्रों को 2 भागों में बांटा गया है- श्रुति और स्मृति। श्रुति के अंतर्गत धर्मग्रंथ वेद आते हैं और स्मृति के अंतर्गत इतिहास और वेदों की व्याख्या की पुस्तकें पुराण, महाभारत, रामायण, स्मृतियां आदि आते हैं। हिन्दुओं के धर्मग्रंथ तो वेद ही हैं। वेदों का सार उपनिषद है और उपनिषदों का सार गीता है। आओ जानते हैं कि उक्त ग्रंथों में क्या है।
वेदों में क्या है?
वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, संस्कार, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है। वेद 4 हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। ऋग्वेद का आयुर्वेद, यजुर्वेद का धनुर्वेद, सामवेद का गंधर्व वेद और अथर्ववेद का स्थापत्य वेद ये क्रमश: चारों वेदों के उपवेद बतलाए गए हैं।
ऋग्वेद : ऋक अर्थात स्थिति और ज्ञान। इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ बहुत कुछ है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है।
यजुर्वेद : यजु अर्थात गतिशील आकाश एवं कर्म। यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। तत्वज्ञान अर्थात रहस्यमयी ज्ञान। ब्रम्हांड, आत्मा, ईश्वर और पदार्थ का ज्ञान। इस वेद की 2 शाखाएं हैं- शुक्ल और कृष्ण।
सामवेद : साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप है। इसमें सविता, अग्नि और इन्द्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसी से शास्त्रीय संगीत और नृत्य का जिक्र भी मिलता है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। इसमें संगीत के विज्ञान और मनोविज्ञान का वर्णन भी मिलता है।
अथर्ववेद : थर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी-बूटियों, चमत्कार और आयुर्वेद आदि का जिक्र है। इसमें भारतीय परंपरा और ज्योतिष का ज्ञान भी मिलता है।
उपनिषद क्या है?
उपनिषद वेदों का सार है। सार अर्थात निचोड़ या संक्षिप्त। उपनिषद भारतीय आध्यात्मिक चिंतन के मूल आधार हैं, भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के स्रोत हैं। ईश्वर है या नहीं, आत्मा है या नहीं, ब्रह्मांड कैसा है आदि सभी गंभीर, तत्वज्ञान, योग, ध्यान, समाधि, मोक्ष आदि की बातें उपनिषद में मिलेंगी। उपनिषदों को प्रत्येक हिन्दू को पढ़ना चाहिए। इन्हें पढ़ने से ईश्वर, आत्मा, मोक्ष और जगत के बारे में सच्चा ज्ञान मिलता है।
वेदों के अंतिम भाग को 'वेदांत' कहते हैं। वेदांतों को ही उपनिषद कहते हैं। उपनिषद में तत्वज्ञान की चर्चा है। उपनिषदों की संख्या वैसे तो 108 है, परंतु मुख्य 12 माने गए हैं, जैसे- 1. ईश, 2. केन, 3. कठ, 4. प्रश्न, 5. मुण्डक, 6. माण्डूक्य, 7. तैत्तिरीय, 8. ऐतरेय, 9. छांदोग्य, 10. बृहदारण्यक, 11. कौषीतकि और 12. श्वेताश्वतर।
षड्दर्शन क्या है?
वेद से निकला षड्दर्शन : वेद और उपनिषद को पढ़कर ही 6 ऋषियों ने अपना दर्शन गढ़ा है। इसे भारत का षड्दर्शन कहते हैं। दरअसल, यह वेद के ज्ञान का श्रेणीकरण है। ये 6 दर्शन हैं- 1. न्याय, 2. वैशेषिक, 3. सांख्य, 4. योग, 5. मीमांसा और 6. वेदांत। वेदों के अनुसार सत्य या ईश्वर को किसी एक माध्यम से नहीं जाना जा सकता। इसीलिए वेदों ने कई मार्गों या माध्यमों की चर्चा की है।
गीता में क्या है?
महाभारत के 18 अध्यायों में से 1 भीष्म पर्व का हिस्सा है गीता। गीता में भी कुल 18 अध्याय हैं। 10 अध्यायों की कुल श्लोक संख्या 700 है। वेदों के ज्ञान को नए तरीके से किसी ने व्यवस्थित किया है तो वे हैं भगवान श्रीकृष्ण। अत: वेदों का पॉकेट संस्करण है गीता, जो हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र ग्रंथ है। किसी के पास इतना समय ही नहीं है कि वह वेद या उपनिषद पढ़े। उनके लिए गीता ही सबसे उत्तम धर्मग्रंथ है। गीता को बार-बार पढ़ने के बाद ही वह समझ में आने लगती है।
गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म मार्ग की चर्चा की गई है। उसमें यम-नियम और धर्म-कर्म के बारे में भी बताया गया है। गीता ही कहती है कि ब्रह्म (ईश्वर) एक ही है। गीता को बार-बार पढ़ेंगे तो आपके समक्ष इसके ज्ञान का रहस्य खुलता जाएगा। गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है।
गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकास क्रम, हिन्दू संदेशवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म-कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, उपासना, प्रार्थना, यम-नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्व जन्म, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि सभी की जानकारी है।