शीर्षक कविता 'हमारी नींद' का भावार्थ लिखें।
Answers
हमारी नींद कविता का भावार्थ...
➲ ‘ हमारी नींद’ कविता ‘वीरेन डंगवाल’ द्वारा लिखी गई एक भावात्मक कविता है, जो उनके काव्य संग्रह ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ से संकलित की गई है। इस कविता के माध्यम से कवि ने उन लोगों के विषय का वर्णन किया है जो अपने आसपास होने वाली घटनाओं से बेखबर होकर अपना जीवन जीते रहते हैं, यानी वह नींद जैसा जीवन जीते हैं। वे सब कुछ जानते हुए भी नींद में रहते हैं। कवि के अनुसार समाज में बहुत से अत्याचारी लोग हैं, जो मक्खियों की भांति कमजोर लोगों पर टूट पड़ते हैं, और जिनका जीवन पूरा जीवन अत्याचार करने में निकल जाता है। उनके अत्याचार बढ़ते ही जाते हैं, लेकिन कोई विरोध नही करता क्योंकि लोग जानबूझ कर अनजान बने रहते हैं, यानि नींद में रहते हैं।
समाज में जो कमजोर वर्ग के लोग हैं, उन्हें भी धन का आकर्षण रहता है और वह अत्याचारी लोगों के अत्याचार से डरते भी हैं, लेकिन फिर भी वह उसके खिलाफ आवाज नहीं उठाते और बेपरवाह होकर अपना जीवन भी नींद में गुजार देते हैं।
कवि का कहने का भाव यह है कि हम सब कुछ देख कर भी ना देखने का भाव दिखाते हैं, और हम सो नहीं रहे होते हैं, फिर भी सोने का ढोंग करते हैं। यह हमारी गहरी नींद ही समाज में फैली अव्यवस्थाओं का सबसे बड़ा कारण है।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○