श्रुतलेखन कक्षा ९ हिंदी।
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श्रुतलेखन का अर्थ है 'सुने हुए को लिखना' या 'सुनकर लिखना'। 'श्रुत' का अर्थ होता है,'सुना हुआ'। इस विधि में एक व्यक्ति बोलता है तथा दूसरा सुन कर उसे लिखता है। विद्यालयों में श्रुतलेखन का उपयोग वर्तनी सुधारने हेतु किया जाता है। आजकल बहुत सी इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों में सुनकर लिखने की क्षमता है।
श्रुति लेखन विधि:- भाषा शिक्षण में जब एक शिक्षक सभी बालकों को शुद्ध शब्द लेखन सिखाने का प्रयास करता है तो इसके लिए वह पाठ के किसी अंश या 20 कठिन शब्दों का चुनाव करता है स्वयं उन शब्दों को शुद्ध रूप से उच्चारित करता है एवं बालक सुनने के आधार पर शुद्ध रूप से लिखने का प्रयास करते हैं उसके बाद शिक्षक स्वयं प्रत्येक बालक की उत्तर पुस्तिका की जांच करता है और गलत पाय गय शब्दों के गोला बनाते हुए वह स्वयं शुद्ध रूप से लिखता है और फिर बालक को 10 10 बार शुध्द लिखने के लिए प्रेरित करता हैै। ऐसा करने सेेे बालक में शुद्ध शब्द लेखन का विकास होता है
गुण:- १. यह मनोवैज्ञानिक विधि है।
२. बालकों में भाषा शुद्धता का विकास होता है।
३. बालक में श्रवण कौशल लेखन कौशल में वृद्धि . होती हैl
दोष:- १. समय अधिक खर्च होता हैl
२. योग्य शिक्षकों का अभाव पाया जाता है