श्राद्ध करते हुए पकड़ा गया इस विषय पर 80 शब्दों की घटना
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इस बार 15 दिन का ही रहेगा सोलह श्राद्ध
3 वर्ष पहले
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हर साल पितरों की शांति और तर्पण करने के लिए भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक किया जाने वाले सोलह श्राद्ध इस वर्ष 15 दिन के ही रहेंगे। वर्ष 2016 में भी श्राद्ध 15 के दिन के थे।
श्राद्ध में पूर्वजों का तर्पण करना हिंदू धर्म में बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। पुण्य के साथ तर्पण हिंदू धर्म में बहुत अहम काम माना जाता है। हिन्दू मान्यता के हिसाब से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद श्राद्ध करना बेहद जरूरी होता है। मान्यता है कि अगर मृत मनुष्य का विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण ना हो पाए तो उसे इस लोक (पृथ्वी लोक) से मुक्ति नहीं मिलती। जिसे अन्य शब्दों में कहते हैं कि मोक्ष प्राप्त नहीं होता।
पं. अशोक शास्त्री ने बताया पुराणों में एक पुराण है ब्रह्म वैवर्त, जिसके अनुसार भगवान को खुश करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानि पूर्वजों को प्रसन्न करना अति आवश्यक है। ज्योतिष के अनुसार भी कुंडली में पितृ दोष पाया जाता है। जिसे अब तक का सबसे बड़ा दोष माना गया है। यह दोष यदि एकबार लग जाए तो पीढ़ी दर पीढ़ी कुंडली में दिखता है। जब तक की कोई इसकी शांति न करवाए। हर साल पितरों की शांति और तर्पण करने के लिए श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल में किया जाता है। इसे ही पितृ पक्ष श्राद्ध कहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन पितृ पक्ष के दिनों में कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वह अपने परिजन से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
तारीख तिथि
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