श्रीधराचार्य का सूत्र क्या है
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चतुराहतवर्गसमै रुपैः पक्षद्वयं गुणयेत। अव्यक्तवर्गरुयैर्युक्तौ पक्षौ ततो मूलम् ॥ यदि किसी संख्या में शून्य जोड़ा जाता है तो योगफल उस संख्या के बराबर होता है; यदि किसी संख्या से शून्य घटाया जाता है तो परिणाम उस संख्या के बराबर ही होता है; यदि शून्य को किसी भी संख्या से गुणा किया जाता है तो गुणनफल शून्य ही होगा।
ax2 + bx + c = 0
4a2x2 + 4abx + 4ac = 0 ; (4a से गुणा करने पर)
4a2x2 + 4abx + 4ac + b2 = 0 + b2 ; (दोनों पक्षों में b2 जोड़ने पर)
(4a2x2 + 4abx + b2) + 4ac = b2
(2ax + b)(2ax + b) + 4ac = b2
(2ax + b)2 = b2 - 4ac
(2ax + b)2 = (√D)2 ; (D = b2-4ac)
अतः x के दो मूल (रूट) निम्नलिखित हैं-
पहला मूल α = (-b - √(b2-4ac)) / 2a
दूसरा मूल β = (-b + √(b2-4ac))
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