Hindi, asked by diveshkumar24, 7 months ago

श्रीधर से अपनी तुलना करने पर लेखक के विचारों में किस प्रकार बदलाव आया ?
बच्चों के सर्वांगीण विकास और उनमे आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए क्या-क्या करना
चाहिए ?

Answers

Answered by anubenny213
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Answer:

जिम्मेदार माता-पिता और शिक्षक के नाते हमें बच्चे के साथ सुरक्षित और पक्का रिश्ता पैदा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। इससे बच्चे के साथ आपका संबंध गहरा होगा और बच्चा अधिक सुरक्षित और आश्वस्त महसूस करेगा।

3- बच्चे के मेहनत हमेशा सराहना करें। वास्तविक परिणाम कुछ भी हो कोशिश की तारीफ होनी चाहिए ताकि बच्चा महसूस करे कि उसके काम की तारीफ हो रही है।

4- कोई भी नहीं चाहता कि उसका बच्चा किसी भी खतरे का सामना करे। फिर भी जरूरी है कि बच्चे को हर स्थिति का सामना करना सीखने का मौका दिया जाए। इसलिए संकट में ढाल बननें के बजाय उन्हें सहारा देने के लिए साथ रहें। कठिन स्थितियों से निपटने के लिए उन्हें स्वयं तैयार होने का मौका दें।

5- माता-पिता और शिक्षक होने के नाते हमें बच्चे की क्षमताओं पर भरोसा करना चाहिए। बहुत अधिक आशावादी भी नहीं होना है और बच्चे को मनमर्जी करने की छूट भी नहीं देनी है लेकिन बच्चे को हार मानने से पहले अपनी दिलचस्पी का काम करने की कोशिश करने का पर्याप्त मौका अवश्य दिया जाना चाहिए।

6- बच्चे के व्यवहार पर छींटाकशी करने या उस पर कोई ठप्पा लगाने से बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर होता है और वह अपनी ही नजरों में गिर जाता है।

7- बच्चे की तुलना भाई-बहनों, साथियों या अपने आप से करने का बच्चे की आत्मकुशलता पर बहुत विपरीत असर पड़ सकता है।

8- हमेशा बच्चे की कमजोरियां गिनाने के बजाय उसके गुणों पर ध्यान देना जरूरी है। बच्चे को अपनी रुचि और प्रतिभा के हिसाब से आगे बढऩे दें और उसकी मेहनत की तारीफ करने या बधाई देने में कंजूसी न करें।

9-बच्चों के लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि आगे की जिन्दगी में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। बहुत अधिक आशावादी होने से काम नहीं चलता क्योंकि उस स्थिति में हार को सह पाना और कठिन हो जाता है। ऐसे में बच्चों को उन बातों और कारणों के असर को समझना सीखने में मदद देनी चाहिए जिन पर उनका वश नहीं है। उन्हें बड़ी-बडी काल्पनिक उम्मीदों से बचाना चाहिए।

10- मजबूत और आश्वस्त होने के लिए उन्हें हर असफलता या निराशा पर नाउम्मीद न होना सीखना पड़ेगा। उन्हें जोश रखना है और हार नहीं माननी है।

11- जीवन में हम सब को असफलता का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे वक्त में बच्चे को सहारा देने के लिए हमारा मौजूद रहना जरूरी है।

12-आत्मविश्वास बच्चे को सिखाया नहीं जा सकता। बच्चों के मन पर हर बात की छाप बहुत जल्दी लगती है और वे अपने आसपास की घटनाओं को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। मातापिता और शिक्षकों को बच्चों के लिए रोल मॉडल यानि आदर्श बनना होगा।

Answered by kusumchauhan577
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Answer:

श्रीधर से अपनी तुलना करने पर लिखा के विचारों में इस प्रकार बदलाव आया कि वे खुद को कोसने लगे क्योंकि वह श्रीधर से कमजोर थे। वे इसी कारण सूफी नहीं पा रहे थे। वह बहुत परेशान रहने लगे।

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