'श्रम ही पूजा है' अपने विचार लिखिए।
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ऐसा कहा जाता है कि श्रम करने से अपना शरीर तंदुरुस्त रहता है | श्रम करने से रात को अच्छी नीद आती हैl मन प्रसन्न रहता हैl
श्रम ही पूजा है
श्रम अर्थात मनुष्य द्वारा दिनचर्या में किया गया कार्य | श्रम मनुष्य के शरीर में मानसिक व शारीरिक संतुलन बनाए रखता है | यह कहना अनुचित नहीं होगा कि मनुष्य द्वारा दैनिक जीवन में सुबह से शाम तक किया गया हार कार्य श्रम ही है | इसी श्रम से मनुष्य अपना पेट पालता है | कभी कभी मनुष्य बिना किसी लालच या लाभ के भी श्रम करता है जिसे श्रमदान कहते हैं | यह वह कार्य है जिसमें मनुष्य किसी जरूरतमंद की सहायता बिना किसी लाभ के करता है | श्रम या काम को पूजा इसीलिए कहा गया है क्योंकि यह मनुष्य के जीवन का पृथक न हो पाने वाला भाग है | कठिन परिश्रम करने से ही मनुष्य अपनी इच्छाएं पूर्ण करने में सफल हो पाता है |