Hindi, asked by anjupundir6530, 2 months ago

श्रम की गरिमा अनुच्छेद​

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Answered by swapnamatoor
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Explanation:

श्रम' का अर्थ है- तन-मन से किसी कार्य को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना । जिस व्यक्ति ने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ने की चेष्टा की, वह निरंतर आगे बढ़ा । मानव-जीवन की उन्नति का मुख्य साधन परिश्रम है । जो मनुष्य जितना अधिक परिश्रम करता है, उसे जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है ।

Answered by Anonymous
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हम सभी के जीवन में श्रम का बहुत महत्व है। श्रम के बिना कुछ भी संभव नहीं होता है। हर कार्य में श्रम की आवश्यकता पड़ती है। घर में काम करने वाली स्त्रियां जो हमारे लिए प्रतिदिन भोजन बनाती हैं, खाना पकाती हैं, कपड़े धोती हैं, घर की सफाई करती हैं वह भी श्रम का उदाहरण है। परिवार का पुरुष बाहर जाकर नौकरी करता है वह भी श्रम का उदाहरण है।

सच तो यह है कि श्रम के बिना कुछ भी संभव नहीं होता। किसी मकान को बनाने में बहुत श्रम लगता है। उसी तरह किसी व्यवसाय को स्थापित करने में बहुत श्रम लगता है। श्रम की महत्वता हर समय होती है। एक विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए बहुत श्रम करता है। तब जाकर वह अच्छे नंबरों से पास होता है।हमारे बड़े बूढ़े कहते हैं कि किसी व्यक्ति के पास श्रम ही वास्तविक संपत्ति होती है। घर में बड़े अक्सर परिश्रम करने की सलाह देते हैं क्योंकि यही जीवन का सार है। महापुरुषों का कहना है कि “श्रम ही जीवन है” राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी कहते थे कि “आराम हराम है” अर्थात व्यक्ति को सदा श्रम करते रहना चाहिए।

इसके बहुत से लाभ हैं। इससे कोई हानि नहीं होती है। इसके फायदे ही फायदे हैं। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा है “कर्म करो फल की इच्छा ना करो” जो व्यक्ति बिना कर्म किए फल की इच्छा करते हैं वे जीवन में असफल होते हैं।

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