Physics, asked by Anonymous, 1 month ago

श्रम का महत्व - 100 शब्दों मे एक अनुच्छेद लिखिए

don't copy from Google ​

Answers

Answered by bhoomi000028
1

कहां गया है कि कर्म ही पूजा है कर्म के अभाव में जीवन का कोई अर्थ नहीं रह जाता कर्म का आधार है - श्रम यही कारण है कि प्राचीन ही नहीं आधुनिक विश्व साहित्य में भी श्रम की महिमा का बखान किया हुआ है

जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए श्रम अनिवार्य है इसीलिए कहा गया है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है उन्हीं लोगों का जीवन सफल होता है वही लोग अमर हो पाते हैं जो जीवन को परिश्रम की आग में तपा कर उसे सोने की भांति चमकदार बना लेते हैं परिश्रमी व्यक्ति सदैव अपने लक्ष्य की ओर ध्यान देता है उसके संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते एवं मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को पार करते हुए वह सफलता के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहता है कहां गया है कार्य की सिद्धि केवल इच्छा से नहीं कठिन परिश्रम से होती है

देखा जाता है कि असफलता मिलने के बाद लोग आगे सफलता के लिए प्रयास करना बंद कर देते हैं किंतु सफलता उन्हें मिलती है जो निरंतर प्रयास करते हैं आलसी व्यक्ति जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त नहीं कर पाता

Hope this will help you.....plz follow me

Answered by Anonymous
2

Answer:

NHI YAR BAS ESE HI BOLA XD # GENIUS RANKER

Explanation:

मनुष्य के पास श्रम के अतिरिक्त कोई वास्तविक सम्पत्ति नहीं है । यदि यह कहा जाये कि, श्रम ही जीवन है तो यह गलत न होगा । जीवन में श्रम अनिवार्य है । गीता में श्रीकृष्णा ने कर्म करने पर बल दिया है । मानव देह मिली है तो कर्म करना ही पड़ेगा ।

जो पुरुषार्थ करता है वह पुरुष है । यह सारा संसार बड़े-बड़े नगर, गगनचुंबी भवन, हवाई जहाज, रेलगाड़ियाँ, स्कूटर तथा अन्य कई प्रकार के वाहन, विशाल कारखाने, टी.वी. तथा सिनेमा आदि सभी मानव के पुरुषार्थ की कहानी कहते हैं ।

कर्म करना जीवन है तो कर्म का न करना मृत्यु । श्रम न करने से ही जीवन नर्क बनता है और कर्म करने से स्वर्ग । ईमानदारी से श्रम करने से मानव फरिश्ता कहलाता है और श्रम न करने से शैतान । जैसा कि, कहा भी गया है खाली दिमाग शैतान का घर होता है । श्रम दो प्रकार का होता है – शारीरिक तथा मानसिक । किसी वस्तु, अर्थ ( धन ) अथवा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किये गये प्रयत्न का नाम श्रम है ।

श्रम अपने आप में ही एक लक्ष्य है । श्रम करके चित्त प्रसन्न होता है । देह तंदरूस्त रहती है । व्यक्ति उन्नति करे अथवा न करे परिवार अथवा समाज में सम्मान मिलता है । किन्तु यह होता नहीं है कि व्यक्ति श्रम करे और वह उन्नति न करे । श्रम करने वाला व्यक्ति सदैव उन्नति करता है ।

बड़े-से-बड़े तेज और समर्थ व्यक्ति तनिक आलस्य से जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं किन्तु श्रम करने वाले व्यक्ति तनिक दुर्बल भी दौड़ में आगे निकल जाते हैं । इस सम्बन्ध में कछुए और खरगोश की कहानी को स्मरण किया जा सकता है । खरगोश तेज गति से चलता है । वह अपने तेज चलने पर बहुत गर्व करता है ।

सबको मालूम है कि कछुआ बहुत धीमी गति से चलता है । दोनों का दौड़ होती है । कछुआ लगातार चलता रहता है तथा परिणामस्वरूप गंतव्य पर पहले पहुँच जाता है । किन्तु खरगोश आलस्य करता है और पिछड़ जाता हें । श्रम करने वाला व्यक्ति कभी भी हारता नहीं है । मेहनत के बूते पर अति साधारण छात्र चकित करने वाले परिणाम दे जाते हैं ।

दूसरी ओर होनहार और मेधावी छात्र अपने आलस्य के कारण कुछ नहीं कर पाता । सेमुअल जॉनसन ने कहा है- ” जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता पूरे जन्म के श्रम द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है । इससे कम मूल्य पर इसको खरीदा ही नहीं जा सकता है । ”

ADVERTISEMENTS:

 

श्रम प्रत्येक मनुष्य जाति तथा राष्ट्र की उन्नति के लिए अनिवार्य है । मनुष्य जितना श्रम करता है उतनी ही उन्नति कर लेता है । हमारे देश में कई उद्योग घराने हैं । बिरला और टाटा के नाम को कौन नहीं जानता । उन्होंने साम्राज्य स्थापित कर रखे हैं ।

यह सब उनके श्रम का ही परिणाम है । बिरला मन्दिर देश के कई बडे शहरों में देखने को मिलते है । बिरला ने धन भी कमाया है और दान भी किया है । पंडित जवाहरलाल नेहरू तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री अपने श्रम के कारण ही देश के प्रधानमन्त्री बन सके । आइंस्टीन ने श्रम किया और वे विश्व के सबसे महान वैज्ञानिक बन गए ।

अमरीका, रूस, जापान तथा इंग्लैण्ड ने श्रम के माध्यम से ही उन्नति की है और आज विश्व के सबसें समृद्ध देश बन गए हैं । श्रम से व्यक्ति का निर्माण होता है । श्रम से वह नेता बनता है । श्रम से वह अभिनेता बनता है । फिल्मी अभिनेताओं का जीवन बहुत सुन्दर और आकर्षक लगता है । हर कोई अभिनेता बनना चाहता है किन्तु अभिनेता बनना सरल नहीं है ।

एक अभिनेता का जीवन घोर तपस्या का जीवन होता है । कठिन श्रम के द्वारा ही धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन सुपरस्टार बन सके । क्रिकेट खिलाड़ी सुनील गावस्कर तथा कपिलदेव ने भी कम परिश्रम नहीं किया । यहाँ तक कि साधु-संन्यासी भी श्रम एवं तपस्या करके ही ईश्वर से साक्षात्कार करते हैं ।

महात्मा बुद्ध ईसा मसीह और स्वामी दयानंद सरस्वती का जीवन श्रम से परिपूर्ण था । अत: यह कहना अनुचित न होगा कि श्रम के बिना कुछ भी कर पाना संभव नहीं है । किन्तु एक बात जो ध्यान देने योग्य है कि श्रम चाहे मानसिक हो या शारीरिक, श्रम है ।

Similar questions