श्रम का महत्व in easy word 2 page easy
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श्रम ही परमेश्वर है, अगर आप मेहनत करोगे तो आप इस संसार में जो चाहे वह आप पा सकते है आपको बस सही परिश्रम करने होंगे। कहते हैं ना "ढूंढने से तो भगवान भी मिल जाता है"। परिश्रम करने से ही कोई भी व्यक्ति सफल होता है, इस बात के कितने सारे उदाहरण है।
फ्रेंच सेनापति नेपोलियन बोनापार्ट एक साधारण शिपाई था उसने अपने अपार परिश्रम के कारण अजिंक्यपद प्राप्त किया था। इससे हमें मालूम पड़ता है अगर कोशिश करोगे तो इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं।
अगर आपको जीवन में कुछ करना हो और उस कार्य के बारे में आप केवल सोचते रहे और कुछ नहीं किया तो वह कार्य कभी भी सफल नहीं होगा, अगर आपने उस कार्य को करने के लिए परिश्रम किए तो आपको निश्चित ही उस कार्य का योग्य फल मिलेगा।
हमारा भारत देश पर डेढ़ सौ वर्ष तक अंग्रेजों का राज था। भारतीयों ने डेढ़ सौ वर्ष तक अंग्रेजों की गुलामी की पर जब सारी जनता एक हुई और योग्य परिश्रम किए तभी हमारे देश को आजादी मिली।
चांद पर उपग्रह भेजने के लिए कितनी सारी असफलताएं झेलने पड़ी परंतु निरंतर श्रम करने के कारण मनुष्य चांद पर उपग्रह भेजने में कामियांब हो गया, मानव को अपने श्रम का फल मिल ही गया।
शेरपा तेरसिंग ने गौरिशिखर पर सफल चढ़ाई की, पर चढ़ाई सफल होने के पहले न जाने वोह कितनी बार असफल हुआ पर उसने अपनी उमिद नहीं छोड़ी और इतनी असफलताओं के बाद उसे अपने कष्ट का फल मिल ही गया।
अगर परिश्रम करोगे तो आपको अपने श्रम का फल जरूर मिलेगा इसमें कोई संदेह नहीं है। इसीलिए आपको आपका कोई भी कार्य करने केलिए खूब कष्ट करने चाहिए क्योंकी श्रम का जीवन में काफी बड़ा महत्व है।
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श्रम का महत्व पर निबन्ध |
Essay on Importance of Labour in Hindi!
मनुष्य के पास श्रम के अतिरिक्त कोई वास्तविक सम्पत्ति नहीं है । यदि यह कहा जाये कि, श्रम ही जीवन है तो यह गलत न होगा । जीवन में श्रम अनिवार्य है । गीता में श्रीकृष्णा ने कर्म करने पर बल दिया है । मानव देह मिली है तो कर्म करना ही पड़ेगा ।
जो पुरुषार्थ करता है वह पुरुष है । यह सारा संसार बड़े-बड़े नगर, गगनचुंबी भवन, हवाई जहाज, रेलगाड़ियाँ, स्कूटर तथा अन्य कई प्रकार के वाहन, विशाल कारखाने, टी.वी. तथा सिनेमा आदि सभी मानव के पुरुषार्थ की कहानी कहते हैं ।
कर्म करना जीवन है तो कर्म का न करना मृत्यु । श्रम न करने से ही जीवन नर्क बनता है और कर्म करने से स्वर्ग । ईमानदारी से श्रम करने से मानव फरिश्ता कहलाता है और श्रम न करने से शैतान । जैसा कि, कहा भी गया है खाली दिमाग शैतान का घर होता है । श्रम दो प्रकार का होता है – शारीरिक तथा मानसिक । किसी वस्तु, अर्थ ( धन ) अथवा उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किये गये प्रयत्न का नाम श्रम है ।
श्रम अपने आप में ही एक लक्ष्य है । श्रम करके चित्त प्रसन्न होता है । देह तंदरूस्त रहती है । व्यक्ति उन्नति करे अथवा न करे परिवार अथवा समाज में सम्मान मिलता है । किन्तु यह होता नहीं है कि व्यक्ति श्रम करे और वह उन्नति न करे । श्रम करने वाला व्यक्ति सदैव उन्नति करता है ।
बड़े-से-बड़े तेज और समर्थ व्यक्ति तनिक आलस्य से जीवन की दौड़ में पिछड़ जाते हैं किन्तु श्रम करने वाले व्यक्ति तनिक दुर्बल भी दौड़ में आगे निकल जाते हैं । इस सम्बन्ध में कछुए और खरगोश की कहानी को स्मरण किया जा सकता है । खरगोश तेज गति से चलता है । वह अपने तेज चलने पर बहुत गर्व करता है ।
सबको मालूम है कि कछुआ बहुत धीमी गति से चलता है । दोनों का दौड़ होती है । कछुआ लगातार चलता रहता है तथा परिणामस्वरूप गंतव्य पर पहले पहुँच जाता है । किन्तु खरगोश आलस्य करता है और पिछड़ जाता हें । श्रम करने वाला व्यक्ति कभी भी हारता नहीं है । मेहनत के बूते पर अति साधारण छात्र चकित करने वाले परिणाम दे जाते हैं ।
दूसरी ओर होनहार और मेधावी छात्र अपने आलस्य के कारण कुछ नहीं कर पाता । सेमुअल जॉनसन ने कहा है- ” जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता पूरे जन्म के श्रम द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है । इससे कम मूल्य पर इसको खरीदा ही नहीं जा सकता है । ”
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