श्रम के महत्व पर छोटी सी कहानी लिखिए
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परिश्रम का महत्व | Story in Hindi Language
यह देख पहाड़ को अपना अस्तित्व खतरे में नज़र आने लगा| पहाड़ घबराया और अपने बचाव के उपाय खोजने लगा| किसान को जब अपने बचाव का कोई उपाय न सुझा तो उसे अपने कोटर में पल रही बिमारियों की याद आई| पहाड़ ने सभी बिमारियों को इकठ्ठा किया और कहा, “मेने कई साल तुम्हारी रक्षा की है और तुम्हें रहने के लिए अपनी कोटर में स्थान दिया है| लेकिन अब मेरे किए गए इस उपकार का वक्त आ गया है|” बीमारियाँ पहाड़ के किसी भी काम के लिए पहले ही तैयार थी| किसान ने फावड़े और कुदाल चलाते हुए किसानो की और इशारा किया और कहा, “पुत्रियों! यह देखो मेरे क्षत्रु| फावड़ा और कुदाल लेकर मेरे अस्तित्व को खतरे में डाले हुए हैं| तुम सब की सब इनपर झपट पदों और मेरा नाश करने वालों का सत्यानाश कर डालो|”
पहाड़ का आदेश मानकर बीमारियाँ आगे बढ़ी और किसानों के शरीर से जाकर लिपट गई| पर किसान तो अपनी धुन में लगे थे| जितने तेजी से फावड़े और कुदाल चलाते उतनी ही तेजी से पसीना बाहर निकलता और साड़ी बीमारियाँ धुलकर निचे गिर जाती| बिमारियों ने किसानों को बीमार बनाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन बिमारियों की एक ना चली| एक अच्छा स्थान छोड़कर उन्हें गंदे स्थान पर जाना पड़ा सो अलग|
पहाड़ ने देखा की जिन बिमारियों को उसने सालों से पाला था वह भी उसकी रक्षा न कर सकी तो पहाड़ बहुत क्रोधित हुआ और उसने बिमारियों को श्राप दिया, कि “मेने तुम्हें अपनी पुत्रियों कि तरह पाला पर फिर भी तुम मेरी रक्षा नहीं कर सकी अब तुम जहाँ हो वहीँ पड़ी रहो|”
तब से बीमारियाँ गन्दगी में ही पड़ी रहती है और महनत करने वाला अनपढ़ आदमी भी स्वस्थ जीवन जीता है| बस यही नियम आज तक चला आ रहा है|
इसीलिए कहा गया है, “हमेशा महनत करते रहना चाहिए| महनती व्यक्ति हमेशा स्वस्थ व् सफल जीवन जीता है|”
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