Hindi, asked by kabitaoraon767, 2 months ago

श्रम की प्रतिष्ठा से
क्या प्रेरणा मिलती है​

Answers

Answered by nikitasharma2961
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Answer:

कर्मयोग की महत्ता पर बल देते हुए निबंधकार ने समाज के सभी वर्ग के लोगों के श्रम करने पर आग्रह किया है । विनोबाजी का विचार है कि जो अपने पसीने से रोटी कमाता है, वह पाप-कर्मों से कोसों भागता है । शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य भी समान होना चाहिए । ... लेकिन सिर्फ कर्म करने से कोई कर्मयोगी नहीं होता ।

Answered by rabigup01
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Explanation:

कर्मयोग की महत्ता पर बल देते हुए निबंधकार ने समाज के सभी वर्ग के लोगों के श्रम करने पर आग्रह किया है। विनोबाजी का विचार है कि जो अपने पसीने से रोटी कमाता है, वह पाप-कर्मों से कोसों दूर भागता है । शारीरिक श्रम और दिमागी काम का मूल्य भी समान होना चाहिए । लेकिन सिर्फ कर्म करने से कोई कर्मयोगी नहीं होता । हां, जो श्रम नहीं टालता है, वह कर्म योगी हो ही नहीं सकता।

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