Hindi, asked by Kshayti, 11 months ago

श्रम और सफलता के बीच संबंध की व्याख्या करें।
Plz help me in this...

Answers

Answered by ArchitPathak
1

Answer:

जीवन में सफलता और परिश्रम का महत्व

जीतने की इच्छा सभी में होती है पर जीतने के लिए तैयारी करने की इच्छा बहुत कम लोगों में होती है |

जीवन में सफलता कौन नहीं चाहता ! हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई चढ़ना चाहता है | ये संसार भी ऐसे लोगों को ही याद रखती है जो इस दुनिया में सफल हुए हैं, जिन्होनें अपने-अपने क्षेत्रों में विजय पताका फहराई है | इस प्रतिस्पर्धा वाले युग में जीत से अधिक कीमती वास्तु शायद ही कोई होगी |

एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट है, संसार में हर व्यक्ति की जीतने की इच्छा होती है लेकिन जीतना इतना आसान नहीं है | जीतने के लिए कीमत चुकानी पड़ती है | वह कीमत होती है अपने जीवन का एक लम्बा समय और उस लम्बे समय में किया हुआ अथाह परिश्रम | किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करनी हो तो उसे समय देना पड़ता है, वो भी नियमित रूप से | ऐसा नहीं कि अचानक कुछ करने का जोश आये, कुछ दिनों तक पूरी ताकत से उसमें लगे रहे, फिर आलस में उसको अधूरा छोड़ दिया |

एक चीज को लक्ष्य बनाकर उस दिशा में प्रयत्न करना होता है | नियमित रूप से लगातार परिश्रम करना पड़ता है | हमारा मन भटकाने के लिए बहुत सारी चीजें सामने आएँगी पर उनपर ध्यान न देते हुए पूरी एकाग्रता से किया हुआ परिश्रम ही मनुष्य को सफलता दिला सकता है | कई बार मनुष्य परिश्रम तो करता है पर उसका श्रम बिखरा हुआ होता है | वह कुछ दिनों के लिए एक लक्ष्य पर काम करता है | कुछ दिनों बाद पुराने लक्ष्य से उसका मोह भंग हो जाता है और वह नया लक्ष्य बना के उस दिशा में काम करने लग जाता है | उसके कुछ दिनों बाद इस नए लक्ष्य से भी उसका मोह भंग हो जाता है | एक और नया लक्ष्य बना के उस पर काम करना शुरू कर देता है | ऐसा मनुष्य कोई भी काम पूरा नहीं कर पाता | उसका हर काम अधुरा छूट जाता है |

इतना तो स्पष्ट है कि जीतने की इच्छा करना तो आसान है पर जीतने के लिए जो तैयारी करनी पड़ती है वो आसान नहीं होती | इसलिए बहुत कम लोगों में उस तैयारी की इच्छा होती है | लोग परिश्रम के कठिन राह से गुजरना नहीं चाहते | वो सरल मार्ग ढूँढते रहते हैं | सरल मार्ग ढूँढते-ढूँढते पूरा जीवन बीत जाता है | ऐसे लोगों को न सरल मार्ग मिलता है न सफलता | परिश्रम से बचने के कितने तरीके ढूँढे जाते हैं पर उनमे से कोई तरीका ऐसा नहीं जो जीत की और ले जा सके |

इतिहास इस बात का साक्षी है कि मनुष्य ने कठोर परिश्रम द्वारा असंभव को भी संभव कर दिखाया है | परिश्रम मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है | शारीरिक और मानसिक परिश्रम के उचित तालमेल से व्यक्ति का तन और मन दोनों स्वस्थ रह सकता है | इसलिए परिश्रम से भागना नीरी मुर्खता है |

विद्यार्थी को विद्यार्जन में, खिलाडी को अपने खेल में, कलाकार को अपनी कला में, गायक को अपने गीत में, एक सामान्य व्यक्ति को अपने पेशे में पारंगतता लानी है तो परिश्रम ही एकमात्र रास्ता है | परिश्रम से बचकर कोई और रास्ता ढूँढना समय की बरबादी है | जीवन में सफलता और परिश्रम एक दूसरे से सिक्के के दो पहलू की तरह जुड़े हुए हैं | इसलिए जीत की इच्छा रखने वाले को कठोर परिश्रम के लये हमेशा तैयार रहना चाहिए |

Answered by bindidevi002
1

Explanation:

जीवन में सफलता कौन नहीं चाहता ! हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई चढ़ना चाहता है | ये संसार भी ऐसे लोगों को ही याद रखती है जो इस दुनिया में सफल हुए हैं, जिन्होनें अपने-अपने क्षेत्रों में विजय पताका फहराई है | इस प्रतिस्पर्धा वाले युग में जीत से अधिक कीमती वास्तु शायद ही कोई होगी |

एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट है, संसार में हर व्यक्ति की जीतने की इच्छा होती है लेकिन जीतना इतना आसान नहीं है | जीतने के लिए कीमत चुकानी पड़ती है | वह कीमत होती है अपने जीवन का एक लम्बा समय और उस लम्बे समय में किया हुआ अथाह परिश्रम | किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करनी हो तो उसे समय देना पड़ता है, वो भी नियमित रूप से | ऐसा नहीं कि अचानक कुछ करने का जोश आये, कुछ दिनों तक पूरी ताकत से उसमें लगे रहे, फिर आलस में उसको अधूरा छोड़ दिया |

एक चीज को लक्ष्य बनाकर उस दिशा में प्रयत्न करना होता है | नियमित रूप से लगातार परिश्रम करना पड़ता है | हमारा मन भटकाने के लिए बहुत सारी चीजें सामने आएँगी पर उनपर ध्यान न देते हुए पूरी एकाग्रता से किया हुआ परिश्रम ही मनुष्य को सफलता दिला सकता है | कई बार मनुष्य परिश्रम तो करता है पर उसका श्रम बिखरा हुआ होता है | वह कुछ दिनों के लिए एक लक्ष्य पर काम करता है | कुछ दिनों बाद पुराने लक्ष्य से उसका मोह भंग हो जाता है और वह नया लक्ष्य बना के उस दिशा में काम करने लग जाता है | उसके कुछ दिनों बाद इस नए लक्ष्य से भी उसका मोह भंग हो जाता है | एक और नया लक्ष्य बना के उस पर काम करना शुरू कर देता है | ऐसा मनुष्य कोई भी काम पूरा नहीं कर पाता | उसका हर काम अधुरा छूट जाता है |

Similar questions