श्रमबल और कार्यबल में अंतर स्पष्ट कीजिए।
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हाल ही में रोज़गार पर सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से जारी आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण रिपोर्ट 2017-18 के मुताबिक, देश में आज़ादी के सात दशकों के बाद पहली बार नौकरियों में शहरी महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों से अधिक हो गई है। शहरों में कुल 52.1% महिलाएँ और 45.7% पुरुष कामकाजी हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ नौकरियों में अभी भी पुरुषों से पीछे हैं, हालाँकि पिछले छह वर्षों में उनकी हिस्सेदारी दोगुनी हुई है और यह 5.5% से 10.5% तक पहुँच गई है। शहरी कामकाजी महिलाओं में से 52.1% नौकरीपेशा, 34.7% स्वरोज़गार तथा 13.1% अस्थायी श्रमिक हैं। इससे पहले 2011-12 में हुए NSSO सर्वे में शहरी नौकरीपेशा महिलाओं का प्रतिशत 42.8 था और इतनी ही महिलाएँ स्वरोज़गार में थीं तथा 14.3% अस्थायी श्रमिक थीं। गौर से देखने पर पता चलता है कि पिछले छह वर्षों में स्थिति बदली है और स्वरोज़गार एवं अस्थायी मज़दूरों में महिलाओं की हिस्सेदारी घटी है, जबकि नौकरी में उनकी हिस्सेदारी करीब 10% बढ़ी है।