शेरनी कभी भार नहीं ढोती है। translate into Sanskrit please reply fast class 7
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योग कर्मसु कौशलम् का अर्थ हिंदी में 'कर्म में कुशलता ही योग है' है। बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्धोगाय युजयस्व योग:कर्मसु कौशलम्।। भगवद्गीता में दी गई है। गीता में 'योग कर्मसु कौशलम' की परिभाषा 50वें श्लोक में की गई है। इसका अर्थ है– 'समबुद्धियुक्त पुरुष पुण्य और पाप दोनों को इस लोक में ही त्याग कर देता है अर्थात् उनसे मुक्त हो जाता है।' इससे (तू) समत्वरूप योग में लग जा, रामत्वरूप योग ही कर्मों में कुशलता है अर्थात् कर्मबंधन से छूटने का उपाय है।
Answerयोग कर्मसु कौशलम् का अर्थ हिंदी में 'कर्म में कुशलता ही योग है' है। बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्धोगाय युजयस्व योग:कर्मसु कौशलम्।। भगवद्गीता में दी गई है। गीता में 'योग कर्मसु कौशलम' की परिभाषा 50वें श्लोक में की गई है। इसका अर्थ है– 'समबुद्धियुक्त पुरुष पुण्य और पाप दोनों को इस लोक में ही त्याग कर देता है अर्थात् उनसे मुक्त हो जाता है।' इससे (तू) समत्वरूप योग में लग जा, रामत्वरूप योग ही कर्मों में कुशलता है अर्थात् कर्मबंधन से छूटने का उपाय है।
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