श्रद्धा ki muskan ka varnan karte hue Kavi kya kahta hai
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प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश में श्रद्धा के रूप-सौन्दर्य की तुलना प्रकृति के सुन्दर दृश्यों से की गई है। के समय काले बादलों को भेदकर चारों ओर लाल किरणें बिखेरता सूर्य शोभायमान हो। (i) प्रस्तुत पंक्तियों द्वारा कवि श्रद्धा के अपूर्व सुन्दर होने का भाव दर्शा रहा है। सुधा भरने को विधु के पास।
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