श्रद्धा धर्म की पहली सीढ़ी है कैसे
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किसी कर्म में प्रवृत्त होने से पहले यह स्वीकार करना आवश्यक होता है कि वह कर्म या तो हमारे लिए या समाज के लिए अच्छा है। इस प्रकार की स्वीकृति कर्म की पहली तैयारी है। श्रद्धा द्वारा हम यह आनंदपूर्वक स्वीकार करते हैं कि कर्म के अमुक अमुक दृष्टांत धर्म के हैं, अत: श्रद्धा धर्म की पहली सीढ़ी है
Answer:
श्रद्धा दिमाग का विषय है, और भक्ति, दिल का। ध्यान दोनों का विषय है। ध्यान दिल और दिमाग दोनों को जोड़ता है।
एक परिपक्व बुद्धि ही भक्ति कर सकती है। एक परिपक्व दिल ज्ञान से प्लावित होता है। ध्यान से तुम्हारी बुद्धि और दिल दोनों परिपक्व होते हैं।
जौन - परन्तु एक बुद्धिमान व्यक्ति में श्रद्धा की कमी नज़र आती है।
श्री श्री - उन्हें भौतिक जगत में अधिक श्रद्धा होती है। दिमाग को उस में अधिक श्रद्धा होती है जो नज़र आता है। दिल को उस में श्रद्धा अधिक होती है जो भले ही समझ के परे हो, नज़र ना आता हो।
किसी मे श्रद्धा का या भक्ति का पूरा अभाव हो, यह असंभव है। यह प्रश्न केवल संतुलन का है।