Computer Science, asked by rohtashsharma6855, 11 months ago

श्रवण के महत्त्व पर चर्चा करें।

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Answered by rahulkumar778281
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Explanation:

श्रवण कुमार एक पौराणिक चरित्र है। ऐसा माना जाता है कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे। श्रवण कुमार अत्यंत श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे। एक बार उनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। श्रवण कुमार ने कांवर बनाई और उसमें दोनों को बैठाकर कंधे पर उठाए हुए यात्रा करने लगे। एक दिन वे अयोध्या के समीप वन में पहुंचे। वहां रात्रि के समय माता-पिता को प्यास लगी। श्रवण कुमार पानी के लिए अपना तुंबा लेकर सरयू तट पर गए। उसी समय महाराज दशरथ भी वहां आखेट के लिए आए हुए थे। श्रवण कुमार ने जब पानी में अपना तुंबा डुबोया, दशरथ ने समझा कोई हिरन जल पी रहा है। उन्होंने शब्दभेदी बाण छोड़ दिया। बाण श्रवण कुमार को लगा। दशरथ को दुखी देख मरते हुए श्रवण कुमार ने कहा- मुझे अपनी मृत्यु का दु:ख नहीं, किंतु माता-पिता के लिए बहुत दु:ख है। आप उन्हें जाकर मेरी मृत्यु का समाचार सुना दें और जल पिलाकर उनकी प्यास शांत करें। दशरथ ने देखा कि श्रवण दिव्य रूप धारण कर विमान में बैठ स्वर्ग को जा रहे हैं। पुत्र का अग्नि संस्कार कर माता-पिता ने भी उसी चिता में अग्नि समाधि ली और उत्तम लोक को प्राप्त हुए। कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढ़े माँ-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

Answered by Anonymous
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"श्रवण के महत्व पर चर्चा निम्न प्रकार से की गई है।

•सक्रिय श्रवण उसे कहते है जिसमें प्रयोजन पूर्ण श्रवण शामिल हो।

•सूचना प्राप्त करने, निर्देश देने, निर्देश लेने  , दूसरों को समझने , समस्याओं का समाधान करने, रुचि की साझेदारी, इन सबमें

दूसरा व्यक्ति क्या महसूस कर रहा है , इन बातो का ध्यान रखना चाहिए।

•गैर मौखिक संचार का प्रयोग करें।

•हमारे वैयक्तिक फिल्टर, अवधारणा, निर्णय तथा विश्वास हमारे द्वारा श्रवण की गई बातो को विरूपित करते है।

•पश्च जानकारी ( Feedback) अवश्य दें।

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