श्रवणीय विवाह में गाए जाने वाले पारंपरिक मंगल गीत सुनिए तथा सुनाइए।
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म्हारी हल्दी रो रंग सुरंग निपजे मालवे
मौलावे लाड़ लाड़ी रा दादाजी, दादी सा रे मन र ले
बना पीठडली दिन चार रूच—रूच न्हायलों
बना काजलिया दिन चार नयन धुलाय जो
बना चाबनिया दिन चार रूच रूच जीभ लो
बना निरखनिया दिन चार हाथ रचाय लो
म्हारो हल्दी से रंग सुरंग निपजे मालवे
(सभी रिश्तेदारों का नाम लें)
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