शास्त्री जी के नाम के साथ कर्म योगी जोड़ना बिल्कुल उपयुक्त है, क्योंकि मुझे तो उनका सारा जीवन ही कर्म से भरा हुआ
मालूम पड़ता था। शास्त्री जी सामान्य परिवार से ऊपर उठकर देश के प्रधानमंत्री के जिस महत्वपूर्ण पद तक पहुँचे, उसका
रहस्य उनके कर्म योगी होने में ही छिपा हुआ है। वे उन लोगों में से नहीं थे ,जिन्हें जीवन का बना बनाया आसान रास्ता मिल
जाता है। वे उन लोगों में से नहीं थे, जो भाग्य पर भरोसा करके बैठे रहते हैं, और अचानक कभी सफलता मिल जाती है। बल्कि
वह उन लोगों में से थे, जिनको अपनी हथेली की लकीरों के बजाय अपने चिंतन और कर्म की शक्ति पर अधिक भरोसा होता
है। वे क्रमश: अपने जीवन का रास्ता बनाते हुए आगे बढ़े थे।शास्त्री जी के लिए कर्म ही ईश्वर था। इसके प्रति वे बिना किसी फल
की आशा किए पूर्ण समर्पण भाव से समर्पित रहते थे।
क- शास्त्री जी के नाम के साथ क्या जोड़ना उपयुक्त है तथा क्यों ?
ख-शास्त्री जी कर्मठ थे। गद्यांश के आधार पर सिद्ध कीजिए।
ग- शास्त्री जी को सबसे अधिक भरोसा किस पर था तथा क्यों ?
घ- शास्त्री जी के लिए ईश्वर कौन था?
ङ- गद्यांश का शीर्षक क्या हो सकता है?
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क) शास्त्री जी के नाम के साथ कर्म योगी जोड़ना बिल्कुल उपयुक्त है, क्योंकि उनका सारा जीवन ही कर्म से भरा हुआ था
ख) वह उन लोगों में से थे, जिनको अपनी हथेली की लकीरों के बजाय अपने चिंतन और कर्म की शक्ति पर अधिक भरोसा होता
है। वे क्रमश: अपने जीवन का रास्ता बनाते हुए आगे बढ़े थे।शास्त्री जी के लिए कर्म ही ईश्वर था।
ग) चिंतन और कर्म की शक्ति पर अधिक भरोसा था,वे क्रमश: अपने जीवन का रास्ता बनाते हुए आगे बढ़े थे।शास्त्री जी के लिए कर्म ही ईश्वर था। इसके प्रति वे बिना किसी फल
की आशा किए पूर्ण समर्पण भाव से समर्पित रहते थे।
घ) शास्त्री जी के लिए कर्म ही ईश्वर था।
ड) कर्मयोगी लालबहादूर शास्त्री गद्यांश का शीर्षक
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