शास्त्रों को लोचन क्यों कहा गया है11क्लास skt
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जिस तरह से लोग आज नीरव मोदी की धोखाधड़ी की मिसाल दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पीएनबी के ग्राहक रहे पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की ईमानदारी का उदाहरण भी दिया जा सकता है.
लालबहादुर शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने तक उनका अपना घर तो क्या उनके पास एक अदद कार तक नहीं थी.
एक बार शास्त्री जी के बच्चों ने उन्हें उलाहना दिया कि अब आप भारत के प्रधानमंत्री हैं. अब हमारे पास अपनी कार होनी चाहिए.
उस ज़माने में एक फ़िएट कार 12,000 रुपये में आती थी. उन्होंने अपने एक सचिव से कहा कि ज़रा देखें कि उनके बैंक खाते में कितने रुपये हैं?
उनके बैंक खाते में उस वक़्त केवल 7,000 रुपये थे.
लालबहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने एक बार बीबीसी को बताया था, "जब हमें पता चला कि शास्त्री जी के पास कार ख़रीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं तो हमने उन्होंने कहा कि कार मत ख़रीदिए."
लेकिन शास्त्री जी ने कहा कि वो बाक़ी के पैसे बैंक से लोन लेकर जुटाएंगे. उन्होंने पंजाब नैशनल बैंक से कार ख़रीदने के लिए 5,000 रुपये का लोन लिया.
एक साल बाद लोन चुकाने से पहले ही शास्त्री जी का निधन हो गया.
लालबहादुर शास्त्री के बाद प्रधानमंत्री बनीं इंदिरा गाँधी ने सरकार की तरफ़ से लोन माफ़ करने की पेशकश की थी.
लेकिन उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने इसे स्वीकार नहीं किया और उनकी मौत के चार साल बाद तक अपनी पेंशन से उस लोन को चुकाया.
अनिल बताते हैं कि जहाँ-जहाँ भी वो पोस्टिंग पर रहे, वो कार उनके साथ गई.
ये कार अभी भी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल में रखी हुई है और दूर- दूर से लोग इसे देखने आते हैं.