Hindi, asked by ronaal, 1 year ago

शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्त्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? स्वयं आप क्या सोचते हैं?​

Answers

Answered by RAthi21
31

hey!

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उत्तर:-

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कुमार गंधर्व का स्पष्ट मत है कि चाहे शास्त्रीय संगीत हो या फ़िल्मी वही संगीत अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाएगा जो रसिकों या श्रोताओं को अधिक आनंदित कर सकेगा।

  • वस्तुतः यह तथ्य बिलकुल सही है कि संगीत का मूल ही आनंद है। संगीत की उत्पत्ति उल्लास से हुई है। श्रोता भी संगीत अपने मनोविनोद के लिए ही सुनते हैं न कि ज्ञान के लिए।

अतः संगीत का चरम उद्देश्य आनंद प्राप्ति ही है। जो भी संगीत श्रोताओं को अधिक-से-अधिक आनंदित करेगा वही अधिक लोकप्रिय भी होगा। अतः उसी को अधिक महत्त्व भी श्रोताओं द्वारा दिया जाएगा। यह बात संगीत ही नहीं अन्य सभी कलाओं पर भी लागू होती है।

  • शास्त्रीय संगीत भी रंजक या आनंददायक न हो तो वह बिलकुल नीरस ही कहलाएगा। कुछ करने और सोचने के लिए।

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°hope help u!!°

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Answered by brainlystargirl
15

Heya _____

शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्त्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? स्वयं आप क्या सोचते हैं?

Answer ________

⚪ Sangeet chahe koi bhi ho par usja adhar hona chaiye jo ki sunne valo ke man ko prasann kar sake....

⚪ Sangeet bhavurn tatha ananded karne vala hona chaiyea...

Hamari ray ....

Haa, vastav me sangeer swar ke sath sath bhavnao ko bhi prabhavit karne vala hona chiyea joki man ko ananded kar de...

Thank you

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