शास्त्रीय गायकों की कौन सी कमी लेखक को खलती है
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कुमार गंधर्व का मानना है कि शास्त्रीय गायक बड़ी आत्मसंतुष्ट वृत्ति के हैं। संगीत के क्षेत्र में उन्होंने अपनी हुक़ूमशाही स्थापित कर रखी है। वे शास्त्र-शुद्धता के कर्मकांडो को आवश्यकता से अधिक महत्व देते हैं। परंतु आज के इस बदलते समय में रसिक केवल शास्त्र शुद्धता और नीरस गाना नही चाहता बल्कि सुरीलापन और भावपूर्ण गाना चाहता है, वह ऐसा संगीत चाहता है जो मुख्य रूप से उसे आंनदित कर दे, जिसमे वह रम जाए भले ही फिर वह संगीत नियमबद्ध हो या न हो इससे रसिक को कोई फर्क नही पड़ता और इसलिये शास्त्रीय गायकों की यह कमी लेखक को खलती है।
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