शास्त्रीय कलाओं का मूल आधार क्या है
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शास्त्रीय कलाओं का आधार जनजातीय और लोक कलाएँ हैं- अपनी सहमति और असहमति के पक्ष में तर्क दें। (सन् 1924-1992) जन्म सुलेभावि, जिला बेलगाँव (कर्नाटक)में। मूल नाम शिवपुत्र सढ़िदारमैया कामकली। मात्र 10 वर्ष की उम्र में गायकी की पहली मंचीय प्रस्तुति।
शास्त्रीय कलाओं का मूल आधार क्या है?
शास्त्रीय लोक कलाओं का मूल आधार लोकगीत और जनजातीय लोक कलाएं बनीं।
कलाओं के विकास के शुरुआती दौर में सभी कलाओं का संबंध लोककलाओं या समूहों से होता था। बाद में जैसे-जैसे कलाएं विकसित होती गईं, उनका संबंध अलग-अलग शैलियों से जुड़ता गया। विकास के क्रम में कलाएं व्यवसायिक होती गई और व्यक्ति केंद्रित होती गईं। मध्यकाल तक आते-आते कलाएँ साहित्य, चित्र, संगीत, नृत्यकला आदि जैसे अनेक कलाओं की विधाएं विकसित हो चुकी थी और धीरे-धीरे यह सभी कलाएं शास्त्री नियमों के बंधनों में बनने लगी। मूल रूप से इन सभी कलाओं का आधार जनजाति और लोक कलाओं का था जो लोक कला के रूप में उत्पन्न होकर धीरे-धीरे शास्त्रीय नियमों में बनकर शास्त्रीय कलाओं का रूप लेती गईं।
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