Social Sciences, asked by maahira17, 9 months ago

शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ कितनी महत्त्वपूर्ण थीं?

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Answered by nikitasingh79
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शासन-प्रशासन संबंधी अकबर के विचारों के निर्माण में धार्मिक विद्वानों से होने वाली चर्चाएँ बहुत महत्त्वपूर्ण थीं।

अकबर ने फतेहपुर सीकरी में रहते हुए विभिन्न धार्मिक नेताओं के विचारों को सुना और उन पर चर्चा भी की । ये चर्चाएं इबादतखाने में हुई। इन चर्चाओं से अकबर ने यह निष्कर्ष निकाला कि जो व्यक्ति धार्मिक नीति और मतांधता पर ज़ोर देते हैं ,वे प्रायः कट्टर होते हैं । उनकी शिक्षाएं देश में अलगाव पैदा कर सकती हैं । इससे प्रेरित होकर अकबर ने एक ऐसी नीति का निर्माण किया जो देश में सभी व्यक्तियों व धर्मो को मान तथा सम्मान दिलवा सके। यह नीति थी - 'सुलह - ए - कुल ' की नीति। इसका अर्थ था सर्वत्र शांति।

शासन के बारे में उनके विचार धर्म पर उदार और धर्मनिरपेक्ष विचारों से प्रभावित थे; परिणामस्वरूप, उनके शासनकाल के दौरान कुछ घटनाक्रम थे -

1. उन्होंने गैर-मुस्लिम पर लगाए गए जज़िया कर को समाप्त कर दिया।

2. हर समुदाय को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करने और बिना किसी भय के अपने विश्वासों का अभ्यास करने के लिए प्रदान किया।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

 

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Answered by Anonymous
11

Answer:

धार्मिक चर्चाओं और परिचर्चाओं से अकबर को ज्ञात हुआ कि धार्मिक कट्टरता प्रजा के विभाजन और असामंजस्य के लिए उत्तरदायी होती है।

  • ये अनुभव अकबर को सुलह-ए-कुल या सर्वत्र शांति के विचार की ओर ले गया।

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