शिशु के धूलि-धूसरित शरीर को देखकर कवि नागार्जुन ने क्या कल्पना की?
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नागार्जुन नागार्जुन को शिशु के लिए धुली शरीर को देखकर ऐसा लगा कि तलाब को छोड़कर कमर उनके घर खिलाने लगा ।
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