शेष- भाषा परिष्कृत प्राजंल, ओज गु
कता है।
हुंकारों से महलों की नींद उखड़ जाती
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है
जनता की रोके राह समय में ताब क
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़
पर्वानमार
Answers
Answered by
1
Answer:
hdh
dgebgs5rrxyfrgeysydgdyeydydgegegeyeuejehty
Answered by
1
Answer:
I can't understand
I am sorry
Similar questions