शातिक यात्रा पर जाने के निरा पैस
और अनुमति मोगत हरा पिता के
निखिरा
162
पत्र
।
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सिविल लाइंस,
रांची।
10 दिसंबर, 2011
विषय : यात्रा पर जाने के लिए अनुमति
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम
आशा करता हूँ कि मेरी तरह आप लोग भी सकुशल होंगे। वार्षिक परीक्षा – के बाद मेरे विद्यालय में एक सप्ताह की छुट्टी होने जा रही हैं। इस बार विद्यालय की ओर से सभी छात्र-छात्राएँ शिक्षक के साथ दिल्ली घूमने जा रहे हैं। मैं भी इन लोगों के साथ जाना चाहता हूँ।
दिल्ली भारत की राजधानी ही नहीं, एक प्राचीन ऐतिहासिक नगरी भी है। यहाँ कई दर्शनीय स्थल भी हैं। उन स्थलों के भ्रमण से मात्र मनोरंजन ही नहीं, अपितु ज्ञानवर्द्धन भी होगा।
अतः आपसे अनुरोध है मुझे इस यात्रा पर जाने की अनुमति दें। दिल्ली से लौटकर आपको यात्रा के विषय में विस्तारपूर्वक पत्र लिखूगा । पूज्या माँ को चरण स्पर्श कहिएगा। शेष फिर-
आपका लाड़ला
विनीत
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