Social Sciences, asked by sn044019, 7 months ago

शांति और सुरक्षा से क्या तात्पर्य है ​

Answers

Answered by rbarman533
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Answer:

Mijhe magi pata...hai

Answered by shilpanarzary04934
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Explanation:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद शहर स्थित जेल परिसर में हुए एक आतंकी हमल को जघन्य और कायराना क़रार देते हुए कड़े शब्दों में उसकी निन्दा की है. सोमवार, 3 अगस्त, को हुए इस हमले में आम नागरिकों सहित 29 लोगों की मौत हो गई थी और अनेक लोग घायल हुए थे. इस्लामिक स्टेट (दाएश) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतन्त्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने भारत सरकार और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से जम्मू कश्मीर में आम आबादी के मानवाधिकारों का उल्लंघन जारी रहने की स्थिति पर ध्यान देने के लिये तुरन्त कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किये जाने का एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर ये पुकार लगाई है.संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि लेबनान की राजधानी बेरूत के बन्दरगाह इलाक़े में एक भीषण विस्फोट हुआ है जिसके बाद राहत अभियान में सक्रियता से सहायता प्रदान की जा रही है. विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि बेरूत के कई इलाक़े बुरी तरह थरथरा उठे. इस घटना में अनेक लोग हताहत हुए हैं जिनमें यूएन के शान्तिरक्षक भी हैं.

दाएश द्वारा अगवा की गई सिन्जर की एक यज़ीदी कुर्द महिला इराक़ के अकरे विस्थापन शिविर में रह रही है. Giles Clarke/ Getty Images Reportage

जनसंहार के छह वर्ष - यज़ीदी समुदाय के लिये न्याय सुनिश्चित करने की पुकार

3 अगस्त 2020

मध्य पूर्व

आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (दाएश) ने छह वर्ष पहले इराक़ में धार्मिक अल्पसंख्यक यज़ीदी समुदाय के ख़िलाफ़ जनसंहारी कृत्य शुरू किये थे. इस दुखद अध्याय के पीड़ितों की स्मृति और उनके समर्थन में सोमवार को एक वर्चुअल समारोह का आयोजन हुआ जिसमें नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता नादिया मुराद ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अत्याचारों का शिकार और यज़ीदी समुदाय के जीवित बच गए लोगों के लिये न्याय सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है.

सीरिया के इदलिब प्रांत के एक कैम्प में एक बच्ची बर्तन धो रही है.© UNICEF/Omar Albam

सीरिया में ग़रीबी और ज़रूरतों का बढ़ता दायरा

29 जुलाई 2020

मध्य पूर्व

हिंसा प्रभावित सीरिया में मानवीय सहायता अभियान के ज़रिये एक महीने में 68 लाख लोगों तक राहत सामग्री पहुँचाई जा रही है लेकिन बदहाल आर्थिक हालात से ग़रीबी गहरी हो रही है जिससे देश में ज़रूरतमन्दों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) के प्रमुख मार्क लोकॉक ने बुधवार को सुरक्षा परिषद को देश में हालात से अवगत कराते हुए यह जानकारी दी है.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) कार्यालय. UNAMA/Fardin Waezi

अफ़ग़ानिस्तान: नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और शान्ति वार्ता शुरू करने का आग्रह

27 जुलाई 2020

एशिया प्रशांत

अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा में हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में वर्ष 2020 के पहले छह महीनों में 2019 की तुलना में 13 फ़ीसदी की कमी आई है, इसके बावजूद स्थानीय लोगों के लिये देश में परिस्थितियाँ अब भी घातक बनी हुई हैं जिनके मद्देनज़र संयुक्त राष्ट्र मिशन ने सभी पक्षों से आम लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने और शान्ति स्थापना के लिये बातचीत की मेज़ पर लौटने की पुकार लगाई है. यूएन की नई रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के प्रथम छह महीनों के दौरान लगभग साढ़े तीन हज़ार आम लोग हताहत हुए हैं. इनमें एक हज़ार 282 की मौत हुई है ौर दो हज़ार 176 घायल हुए हैं.

फ़लस्तीनियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी का एक कर्मचारी ग़ाज़ा पट्टी में एक बुज़ुर्ग फ़लस्तीनी व्यक्ति को दवाइएँ पहुँचाते हुए.© UNRWA/Khalil Adwan

मध्य पूर्व में अदावत फिर बढ़ी, कोविड -19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में मुश्किलें

21 जुलाई 2020

मध्य पूर्व

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत निकोलय म्लैदमॉफ़ ने कहा है कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में इसराइली और फ़लस्तीनियों के बीच नज़र आई एकजुटता अब बिखरने लगी है जिससे लोगों की ज़िन्दगी के लिए जोखिम पैदा होने के साथ-साथ अर्थव्यस्था में मन्दी आने लगी है. साथ ही इसराइल द्वारा पश्चिमी तट के कुछ इलाक़ों को छीनने का ख़तरा भी बरक़रार है.

यमन के इब्ब नगर में एक विस्थापित महिला अपने शिविर घर के दरवाज़े पर अपने बच्चों के साथ, बहुत से लोगों को बार-बार विस्थापित होना पड़ा है.

यमन: कोविड-19 के माहौल में लोग डर, नफ़रत और विस्थापन की भी चपेट मे

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कार्यकर्ताओं ने कहा है कि यमन में कोविड-19 महामारी के फैलने के डर ने लोगों को नए सिरे से विस्थापित होने के लिये मजबूर कर दिया है. अनेक वर्षों से युद्धग्रस्त देश यमन में बहुत से लोगों को जीवित रहने की ख़ातिर अपने पास बचा-खुचा सामान बेचने के लिये भी मजबूर होना पड़ा है.

हुदायदाह में घरेलू विस्थापन का शिकार महिलाएँ.

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