शांत रस की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
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तत्त्व-ज्ञान की प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है। जहाँ न दुःख है, न सुख, न द्वेष, न राग और न कोई इच्छा है, ऐसी मनोस्थिति में उत्पन्न रस को मुनियों ने 'शान्त रस' कहा है। कबहुँक हौं यहि रहनि रहौंगौ। श्री रघुनाथ-कृपालु-कृपा तें सन्त सुभाव गहौंगो।
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sant ras man ke bhawon ko prakat karte mein praoug hota hai
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