Hindi, asked by dishantrathod45, 2 months ago

शांत रस का स्थाई भाव क्या है​

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Answered by shishir303
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शांत रस का स्थायी भाव उदासीनता (निर्वेद) है।

व्याख्या :

शांत रस की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य में सांसारिक मोह माया के प्रति ग्लानि या वैराग्य का भाव प्रकट किया जाए तो वहां पर शांत रस होता है।

शांत रस में जब सांसारिक मोह माया के प्रति वैराग्य का भाव पैदा होने पर और ईश्वर के प्रति श्रद्धा प्रकट होने पर मन को जो शांति प्राप्त होती हो, वहां शांत रस प्रकट होता है।

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