शांत रस का स्थाई भाव क्या है
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शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) होता है। इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है।
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