Hindi, asked by yadavmaya468, 3 months ago

शीत-ताप में जूझ प्रकृति से बहा स्वेद, भू-रज कर उर्वर, शस्य श्यामला बना धरा को जब भंडार कृषक देते भर नहीं प्रार्थना इससे शुभकर ! meaning of sentence​

Answers

Answered by rekhabochare86
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Answer:

प्रस्तुत पंक्तियाँ नहीं कुछ इससे बढ़कर’ कविता से ली गई हैं। इसके कवि सुमित्रानंदन पंत हैं। प्रस्तुत पंक्ति में कृषक का महत्त्व प्रतिपादित किया है। किसान ठंड व गरमी में प्रकृति से जूझता रहता है और अपना पसीना बहाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। वह धरती को नई कोमल घास से हरी-भरी व समृद्ध बनाकर अनाज की खेती करके भंडारों को भर देता है। अत: कृषक की प्रार्थना से बढ़कर अन्य कोई शुभकर प्रार्थना नहीं होती।

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